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लॉग बुक (प्रथम सोपान )

आत्म परिचय

नवीनतम पासपोर्ट
  साइज़ फोटोग्राफ
  (स्काउट गणवेश में )
आत्म-परिचय
1 राज्य                                       
2 मंडल                    
3 जिले का नाम  
4 स्काउट का नाम  
5 पिता का नाम  
6 माता का नाम  
7 जन्म-तिथि  
8 विद्यालय का नाम  
9 यूनिट का नाम  
10 घर का पता  
11 संपर्क नंबर / मोबाइल नंबर  
12 यूनिट को जॉइन करने की तिथि  
13 अलंकरण तिथि  
14 प्रवेश की तिथि  
15 प्रथम सोपान की तिथि  
16 प्रमाण-पत्र नं.  
17 स्काउट के हस्ताक्षर  
18 स्काउट मास्टर के हस्ताक्षर  

  

     भारत स्काउट्स और गाइड्स
          लॉग बुक ( प्रथम सोपान )

अनुक्रमणिका
क्र॰ सं॰ विषय
1 स्काउट का इतिहास
2 स्काउट की आधारभूत जानकारी
3 अपने आप की देखभाल
4 शिविराग्नि (कैंप फायर) गीत
5 BP-6 व्यायाम
6 सूर्य नमस्कार
7 प्राथमिक उपचार पेटिका
8 कमीज में बटन लगाना
9 अनुशासन व पट्रोल सिस्टम
10 सीटी के संकेत
11 हाथ के संकेत
12 लकड़ी और पत्थरों से बनाये संकेत
13 रस्सी की गांठें
14 लैशिंग
15 समाज सेवा
16 संवाद
17 रोड पर सुरक्षित पैदल चलने के नियम
18 भारत के राष्ट्रीय चिन्ह

1. स्काउट का इतिहास
स्काउटिंग (Scouting) या बालचरी एक आन्दोलन है जिसमें बच्चों से बड़ों तक का उच्च कोटि की नैतिकता व योग्यता का विकास किया जाता है। स्काउटिंग आन्दोलन के जनक राबर्ट स्टिफैंस स्मिथ बैडन पावेल थे। बैडन पावेल का जन्म 22 फरवरी 1857 को लंदन में हुआ था। जब बैडन पावेल तीन वर्ष के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था। उन्होंने अपनी पढाई लंदन में ही पूरी की।
सन् 1876 में वो युवा सैनिक अफसर के रूप में भारत आये। उनको स्काउटिंग, नक़्शे बनाने और जंगलों से बहुत लगाव था। वो एक सैनिक, लेखक और विश्व स्काउट आन्दोलन के जनक थे। उसके बाद वो दक्षिण अफ्रीका और मालता देशों में गए। उन्होंने “Aids to Scouting” नामक एक पुस्तक लिखी जो काफी प्रसिद्ध हुई। सन् 1907 में उन्होंने बॉयज स्काउट की शुरुआत की । उन्होंने 1908 में “Scouting for Boys “ पुस्तक लिखी । 53 साल की उम्र में, 1910 में वो सेना से सेवानिवृत हो गए। 8 जनवरी 1941 को केन्या में बैडन पावेल का निधन हो गया। भारत में स्काउटिंग की शुरुआत 1909 में हुई। अब भारत में “भारत स्काउट्स और गाइड्स” नाम की संस्था इस आन्दोलन को चला रही है। जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। रॉबर्ट बैडन पावेल के जन्मदिन को विश्व चिंतन दिवस (World Thinking Day) के रूप में मनाया जाता है।

2. स्काउट की आधारभूत जानकारी
आदर्श वाक्य: तैयार रहो (Be Prepared)

स्काउट चिन्ह:
दायें हाथ की तीन अँगुलियों को एक साथ सीधा रखकर और छोटी अंगुली को अंगूठे के नीचे रखकर कंधे के बराबर अँगुलियों को खड़ा रखा जाता है।

स्काउट प्रतिज्ञा :
“मैं मर्यादा पूर्वक प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं यथाशक्ति ईश्वर और अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करूँगा, दूसरो की सहायता करूँगा और स्काउट नियम का पालन करूँगा । “

स्काउट नियम :
1) स्काउट विश्वसनीय होता है।
2) स्काउट वफादार होता है।
3) स्काउट सबका मित्र और प्रत्येक दूसरे स्काउट का भाई होता है।
4) स्काउट विनम्र होता है।
5) स्काउट पशु -पक्षियों का मित्र और प्रकृति प्रेमी होता है।
6) स्काउट अनुशासनशील होता है और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने में सहायक होता है।
7) स्काउट साहसी होता है।
8) स्काउट मितव्ययी होता है।
9) स्काउट मन, वचन और कर्म से शुद्ध होता है।

स्काउट प्रार्थना

दया कर दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना।
दया करना हमारी आत्मा में, शुद्धता देना ।।
हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल में आकर के, परम ज्योति जगा देना।।
बहा दो प्रेम की गंगा, दिलो में प्रेम का सागर।
हमें आपस में मिल-जुलकर प्रभु रहना सिखा देना।।
हमारा कर्म हो सेवा, हमारा धर्म हो सेवा।
सदा ईमान हो सेवा व सेवक चर बना देना।।
वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना।
वतन पर जाँ फ़िदा करना, प्रभु हमको सिखा देना।।
दया कर दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना।
दया करना हमारी आत्मा में, शुद्धता देना।।

झंडा गीत
भारत स्काउट-गाइड झंडा ऊँचा सदा रहेगा।
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा।।
नीला रंग गगन सा विस्तृत भ्रातृ भाव फैलाता।
त्रिदल कमल नित तीन प्रतिज्ञाओं की याद दिलाता।।
और चक्र कहता है प्रतिपल, आगे कदम बढेगा।
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा।
भारत स्काउट-गाइड झंडा ऊँचा सदा रहेगा।।

स्काउट द्वारा हाथ मिलाना : स्काउट एक –दूसरे के साथ बायाँ हाथ मिलाते हैं । बायाँ हाथ दिल के नजदीक होता है, अतः इसको दोस्ती के टोकन के रूप में आगे बढाया जाता है।

अभिवादन करना (Salute): स्काउट में अभिवादन करने के लिए दायें हाथ की तीन अँगुलियों को एक साथ सीधा रखकर और छोटी अंगुली को अंगूठे के नीचे रखकर, दायीं आँख की बौहों के ऊपर रखकर सैल्यूट किया जाता है।

3. अपने आप की देखभाल
मेरी दिनचर्या :

मैं सुबह 5:00 बजे उठता हूँ। सबसे पहले मैं ईश्वर को याद करके अपने माता-पिता के चरण छूता हूँ। माता-पिता का आशीर्वाद लेकर मैं अपने बिस्तर को साफ़ करता हूँ और उसको भलीभांति समेटकर रखता हूँ। फिर मैं नित्य क्रियाओं से निवृत होता हूँ। उसके बाद मैं बी. पी.-6 व्यायाम करता हूँ और सूर्य नमस्कार करता हूँ। ये सब व्यायाम मेरे शरीर को चुस्त और तंदुरुस्त बनाये रखने में सहायता करते हैं। मैं रोजाना 10 मिनट योग अभ्यास भी करता हूँ। इसके बाद मैं नहाता हूँ और अपने कपड़े भी स्वयं धोता हूँ। मैं अपने कपड़ों को इस्त्री करके पहनता हूँ। मैं मेरे जूतों के स्वयं पॉलिश करता हूँ। मैं सप्ताह में 2 बार मेरे हाथ और पैर के नाखून काटता हूँ। मैं नाश्ते में संतुलित आहार लेता हूँ। फिर मैं समय पर स्कूल जाता हूँ। स्कूल में सभी गुरुजनों को नमन करता हूँ और मन लगाकर पढाई करता हूँ। मैं स्कूल की सभी गतिविधियों में भी भाग लेता हूँ। मुझे स्कूल में बहुत आनंद आता है। स्कूल की छुट्टी होने पर मैं घर आता हूँ। घर आकर मैं खाना खाता हूँ और माता-पिता को स्कूल की बातें बताता हूँ। मैं कुछ देर आराम करता हूँ। शाम को मैं दोस्तों के साथ खेलने जाता हूँ फिर घर आकर स्कूल में दिया गया गृहकार्य पूरा करता हूँ और मन लगाकर पढाई करता हूँ। खाली समय में मैं घर के कार्य करने में मम्मी की मदद करता हूँ। मैं रात को 10:00 बजे माता-पिता के चरण छूकर और आशीर्वाद लेकर सो जाता हूँ।

4. शिविराग्नि (कैंप फायर) गीत
शिविराग्नि उद्घाटन गीत
आग हुई है रोशन आओ,
आओ आग के पास!

आग से रोशन अपनी बस्ती,
कैसी बुलन्दी कैसी मस्ती,
मिलकर भाग जगाओ आओ,
आओ आग के पास!

सूरज डूबा निकले तारे,
खत्म हुए सब काम हमारे,
रंजो-अलम को भूल-भुलाओ,
आओ आग के पास!
आग हुई है ……..

कैंप फायर समापन गीत (रात्रि-गान)
सांझ हुई, सूरज डूबा, सागर सोया धरती सोई
अम्बर सोया, निर्भय होकर, तुम भी सोवो, प्रभु है पास ।

5. BP-6 व्यायाम
1. सिर के लिए : दोनों हाथों को आपस में अच्छे से रगड़ें और उनको हल्के से अपने चहरे पर मलें। अपने दोनों हाथों की हथेलियों और अँगुलियों से अपने गर्दन, गले , हाथों आदि को मलें।

2. सीने के लिए : दोनों हाथों को सीधा,सामानांतर और एक-दूसरे हाथ के पीछे की साइड को आमने-सामने रखकर, थोड़ा आगे की ओर झुक जाएँ। श्वांस छोड़ें। धीरे-धीरे नाक से श्वांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर उठायें और हाथों को सिर के ऊपर से ले जाते हुए पीछे की ओर जितना हो सके झुकें और थैंक्स शब्द बोलते हुए दोनों हाथों को दोनों साइड से धीरे-धीरे नीचे की ओर लाएँ । अंत में फिर से आगे की ओर झुक जाएँ और बाकी श्वांस भी छोड़ दें ।

3. पेट के लिए: सीधे खड़े हो जाएँ। दोनों हाथों को सीधे, समानांतर और अंगुलियाँ सीधी रखते हुए, अपने पैरों को बिना हिलाए व घुमाए, अपनी कमर के सहारे घूमते हुए, श्वांस छोड़ते हुए, हाथों को धीरे-धीरे दायीं ओर ले जाएँ। तत्पश्चात थोड़े अन्तराल बाद, श्वांस लेते हुए हाथों को बायीं और ले जाएँ।

4. धड़ के लिए : यह शंकु व्यायाम भी कहलाता है। सावधान मुद्रा में खड़े होकर, दोनों हाथों को कानों से स्पर्श करते हुए, सीधे रखकर, ऊपर उठाते हुए, दोनों हाथों की अँगुलियों को मिला लीजिए। पीछे की ओर झुकते हुए, अपने हाथों को धीरे-धीरे झुमाते हुए दाहिनी ओर से बड़ा सा गोला बनाते हुए हाथों को फिर से पहले वाली स्थिति में ले आइये। अब, यही चीज विपरीत दिशा में दोहरायें। पीछे की ओर झुकते समय श्वास लीजिए और आगे की और झुकते समय श्वास छोडिए।

5. शरीर के निचले हिस्से और जाँघों के लिए : पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए खड़े हो जाइये। अपने दोनों हाथों को अपने सिर के पीछे रखें और आकाश की ओर देखें। जितना हो सके पीछे की ओर झुक जाइए। अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुकिए और बिना घुटनों को मोड़े, अपने पैर के अंगूठे को स्पर्श कीजिये।

6. पैर और पंजों के लिए: सावधान की स्थिति में खड़े हो जाइए। अपने दोनों हाथों को कमर पर रखिये। अपने पंजों पर खड़े हो जाइये। धीरे-धीरे घुटनों को आगे की तरफ मोड़िये और उकडू बैठ जाइये। पूरे समय एड़ी ऊपर उठी रहेंगी। अब धीरे-धीरे खड़े हो जाएँ और पहले की स्थिति में वापस आ जाएँ। बैठते समय श्वांस छोड़ें और उठते समय श्वांस लें।

सूर्य नमस्कार
‘सूर्य नमस्कार’ का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है। सूर्य नमस्कार 12 शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है। सूर्य नमस्कार मन वह शरीर दोनों को तंदुरुस्त रखता है। सूर्य नमस्कार प्रातःकाल खाली पेट करना उचित होता है।

सूर्य नमस्कार के 12 आसन:
1. प्रणाम आसन
2. हस्तउत्तानासन
3. हस्तपाद आसन
4. अश्व संचालन आसन
5. दंडासन
6. अष्टांग नमस्कार
7. भुजंग आसन
8. पर्वत आसन
9. अश्वसंचालन आसन
10. हस्तपाद आसन
11. हस्तउत्थान आसन
12. ताड़ासन

1. प्रणाम आसन
अपने आसन (मैट) के किनारे पर खड़े हो जाएँ, अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। अपनी छाती फुलाएँ और कंधे ढीले रखें।श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ।
2. हस्तउत्तानासन
श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे ले जाएँ व बाजुओं की द्विशिर पेशियों (बाइसेप्स) को कानों के समीप रखें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।
3. हस्तपाद आसन
श्वास छोड़ते हुए व रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए कमर से आगे झुकें। पूरी तरह श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को पंजो के समीप ज़मीन पर रखें।
4. अश्व संचालन आसन
श्वास लेते हुए जितना संभव हो दाहिना पैर पीछे ले जाएँ, दाहिने घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं, दृष्टि को ऊपर की ओर ले जाएँ।
5. दंडासन
श्वास लेते हुए बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और संपूर्ण शरीर को सीधी रेखा में रखें।
6. अष्टांग नमस्कार
आराम से दोनों घुटने ज़मीन पर लाएँ और श्वास छोडें। अपने कूल्हों को पीछे उपर की ओर उठाएँ I पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएँI अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुएँ। अपने नितम्बों को थोड़ा उठा कर ही रखेंI अब दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) ज़मीन को छूते हुए होंगे।
7. भुजंग आसन
आगे की ओर सरकते हुए, भुजंगासन में छाती को उठाएँI कुहनियाँ मुड़ी रह सकती हैं। कंधे कानों से दूर और दृष्टि ऊपर की ओर रखें।
8. पर्वत आसन
श्वास छोड़ते हुए नितम्बों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी (˄) के आकार में आ जाएँ।
9. अश्वसंचालन आसन
श्वास लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएँ, बाएँ घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं। दृष्टि ऊपर की ओर रखेंI
10. हस्तपाद आसन
श्वास छोड़ते हुए बाएँ पैर को आगे लाएँ, हथेलियों को ज़मीन पर ही रहने दें। अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं।
11. हस्तउत्थान आसन
श्वास लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे ऊपर लाएँ, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएँ, नितंबों को आगे की तरफ धकेलें।
12. ताड़ासन
श्वास छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें फिर हाथों को नीचे लाएँI इस अवस्था में विश्राम करें और शरीर में हो रही संवेदनाओं के प्रति सजगता ले आएँ।

7. प्राथमिक उपचार पेटिका
किसी भी बीमारी,चोट या दुर्घटना होने पर, चिकित्सक या ऐम्बुलेंस आने से पहले जो राहतकार्य, उपचार या treatment किया जाता है, उसे प्राथमिक उपचार कहते हैं। इस उपचार के दौरान उपयोग मे आने वाले साधनो के संग्रह को प्राथमिक उपचार पेटी कहते हैं।

प्राथमिक उपचार के उद्देश्य :
1. जीवन संरक्षण: प्राथमिक उपचार का मुख्य उद्देश्य है मरीज़/बीमार/घायल व्यक्ति के जीवन की रक्षा करना।
2. स्थिति को अधिक खराब होने से बचाना: इसके लिये बाहरी और आंतरिक स्थिति को नियंत्रण मे रखना आवश्यक है। इसलिये बाहरी तौर पर मरीज़/घायल को उसके कष्ट या पीड़ा के कारण या वजह से (विशेषतः दुर्घटना/natural disaster की स्थिति मे) दूर ले जाया जाये और आंतरिक तौर पर उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था को बिगड़ने से बचाया जाये।
3. रोग-मुक्त होने मे सहायता करना: रोगी को दवाई और मरहम-पट्टी से उसे निरोगी और पूर्णतः स्वस्थ करना प्राथमिक उपचार का अंतिम उद्देश्य है।

प्राथमिक उपचार के सिद्धांत:
प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत निम्नलिखित हैं –
 घायल व्यक्ति की हालत बदतर बनाए बिना जल्द से जल्द दुर्घटना के बाद प्राथमिक चिकित्सा देना।
 केवल आवश्यक प्राथमिक चिकित्सा ही देना।
 रक्तस्त्राव को तुरंत ठीक करना।
 श्वसन और परिसंचरण को सही करना।
 व्यक्ति को सदमा लगने से बचाना और अगर वह पहले से ही सदमे में है, तो उसका इलाज करना।
 हड्डी टूटने (फ्रैक्चर) या जोड़ हिलने की स्थिति में प्रभावित क्षेत्र को हिलने-डुलने न देना।
 आसान प्रक्रियाओं और दवाओं से दर्द को ठीक करना।
 घायल व्यक्ति को जल्दी ठीक होने का आश्वासन देना और उसका हौसला बढ़ाना।

प्राथमिक उपचार शुरु करने पर सबसे पहले मरीज़/घायल की जाँच के लिये 3 चीज़ो को अहमियत दी जाती है जिसे संक्षेप मे फर्स्टएड की ABC के नाम से जाना जाता है. यह निम्नलिखित है:
 A – Airway (श्वसन नली की जांच) यह जीवन की रक्षा से सम्बन्धित है.किसी के प्राणो को बचाने के लिये यह निश्चित करना ज़रूरी है कि उसके वायुमार्ग मे कोइ अवरोध न हो।
 B –Breathing (श्वांस की जांच) वायुमार्ग जाँचने के बाद यह देखना चाहिये कि मरीज़/घायल सचेत अवस्था मे हो और उसे साँस लेने मे कोइ तकलीफ न हो।
 C-Circulation (परिसंचरण की जांच) अंत मे यह देखा जाता है कि मरीज़/घायल का खून का परिसंचरण हो रहा है या नहीं, जिसके लिये उसकी नाड़ी (pulse rate) का निरीक्षण किया जाता है।

प्राथमिक उपचार पेटिका में निम्नलिखित वस्तुएं होनी चाहिए :
 प्राथमिक उपचार पुस्तिका (First Aid book) : प्राथमिक उपचार पेटी में प्राथमिक उपचार पुस्तिका को ज़रूर रखें क्योकि प्राथमिक उपचार कैसे करना है इस किताब में उसकी पूरी जानकारी रहती है |
 रुई (Cotton) : प्राथमिक उपचार के समय में जो व्यक्ति उपचार कर रहा है उसके पास रुई का होना बहुत ही ज़रूरी होता है। यदि रोगी के शरीर में कहीं कट-फट गया हो तो उस जगह पर रुई को रख कर खून को रोका जा सकता है |
 पट्टी (Bandage): पट्टी का उपयोग कटे हुए स्थान पर लपेटने के काम आ सकता है |
 पट्टी को काटने वाली कैंची
 टेप (Tape): प्राथमिक उपचार पेटी में टेप का होना ज़रूरी है, ताकि मरहमपट्टी की जा सके |
 दस्ताने (Gloves): पेटी में साफ दस्ताने होने चाहिए जो कि मरीज का इलाज करते वक्त पहनने चाहिए |
 रोगाणुरोधक दवा (Antiseptic क्रीम): पेटी में रोगाणुरोधक दवा जैसे Savlon, Dettol आदि को ज़रूर रखें क्योंकि किसी कटने या चोट लगने की स्थिति में रोगाणुरोधक दवा से घाव को साफ किया जा सकता है और संक्रमण (infection) से बचा जा सकता है |
 जीवाणुरोधक मरहम (Antibiotic Ointment ) : Antibiotic Ointment जख्म पर लगाने के काम आता है।
 ताप-मापक (Clinical Thermometer) : यह एक बेहद जरुरी सामान है जिसे आसान भाषा में Thermometer बोल जाता है, जिसके रहने पर मरीज का बुखार नापा जा सकता है और जरुरत के हिसाब से उचित इलाज किया जा सकता है |
 जरुरी दवा (Essential Medicine): ऐसा संभव है कि घायल व्यक्ति को कुछ जरुरी दवा की जरुरत पड़ सकती है, इसलिए प्राथमिक उपचार पेटिका में कुछ दवा (दर्द निवारक दवा, एंटीहिस्टामिन दवाएं) ज़रूर रखें।
 हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitizer)

कुछ रोगों का प्राथमिक उपचार :
1. चक्कर आने पर प्राथमिक उपचार :

अगर आपके आस-पास किसी को चक्कर आने की समस्या हो रही है, तो आप निम्नलिखित तरीके से उसकी मदद कर सकते हैं –

• व्यक्ति को लिटा दें या बिठा दें।
• अगर आपको लग रहा है कि व्यक्ति को खड़े होने या चलने में दिक्कत हो रही है, तो तुरंत उसे सहारा दें ताकि वह गिरे नहीं।
• अगर व्यक्ति को खड़े होने में दिक्कत हो रही है, तो उसे धीरे-धीरे खड़े होने के लिए कहें।
• अगर व्यक्ति को चक्कर आ रहे हैं, तो उसका ध्यान भटकाने और भावनात्मक रूप से सहारा देने के लिए उससे बात करें।
• अगर व्यक्ति को प्यास लग रही है, तो उसे पानी या ज्यूस पीने के लिए दें।
• व्यक्ति को तेज रोशनी में न जाने दें।
• अगर आपको लग रहा है कि व्यक्ति के लक्षण और बिगड़ते जा रहे हैं, तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।

2. खून बहने पर प्राथमिक उपचार :

अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को चोट लग गई है और खून बह रहा है, तो आप निम्नलिखित तरीके से प्राथमिक उपचार कर सकते हैं –

• सबसे पहले घायल व्यक्ति का शांत रहना आवश्यक है क्योंकि घबराहट से दिल की धड़कन तेज हो जाती है और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है, जिससे खून और तेजी से बहने लगता है।
• घायल व्यक्ति को शांत करें और उसे आश्वासन दें।
• अगर बहुत अधिक खून बह रहा है, तो एम्बुलेंस को बुलाएं या व्यक्ति को अस्पताल ले जाएं।
• जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी व्यक्ति को लिटा दें।
• घाव वाली जगह को हिलाए नहीं।
• अगर घाव व्यक्ति के सिर, गर्दन, पीठ या पैर में है, तो उस व्यक्ति को बिलकुल न हिलाएं। अगर घाव पर धूल-मिट्टी या कपड़ा है, तो उसे हटाने का प्रयास करें।
• त्वचा में अंदर तक घुसे हुए हथियार या अन्य चीजें जैसे सुई या कील निकालने की कोशिश न करें। ऐसा करने से और अधिक नुकसान हो सकता है और ब्लीडिंग बढ़ सकती है।
• खून को रोकने के लिए घाव पर बैंडेज, पट्टी या एक साफ़ कपडा रखें और उस पर दबाव बनाएं।
• अगर घाव आंख पर है, तो उस पर दबाव न बनाएं।
• अगर त्वचा में कोई वस्तु अंदर तक घुस गई है, तो न उसे निकालने का प्रयास करें और न उस पर दबाव बनाएं।
• हो सके तो घाव वाले क्षेत्र को दिल के स्तर से ऊपर उठा लें।
• अगर खून पट्टी लगाने के बाद भी बाहर आ रहा है, तो पट्टी को निकाले नहीं बल्कि उसके ऊपर और पट्टी लगाकर दबाव बनाएं।
• अगर ब्लीडिंग रुक गई है, तो पट्टी को हटाकर घाव को देखने का प्रयास न करें। ऐसा करने से खून बहना फिर से शुरू हो सकता है।

3. हड्डी टूटने पर प्राथमिक उपचार :

अगर किसी की हड्डी टूट जाती है, तो उसे प्राथमिक चिकित्सा दें और एम्बुलेंस को बुलाएं। मदद का इंतज़ार करते समय आप घायल व्यक्ति को निम्नलिखित तरीके से प्राथमिक उपचार दे सकते हैं –

• रक्तस्त्राव रोकें : अगर घायल व्यक्ति का बहुत अधिक खून बह रहा है, तो उसे रोकने की कोशिश करें। इसके लिए प्रभावित क्षेत्र पर साफ पट्टी या कपड़ा लगाकर उस जगह पर दबाव बनाएं।
• प्रभावित क्षेत्र को हिलने न दें : अगर आपको लगता है कि व्यक्ति के गले या पीठ की हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है, तो उसे बिलकुल भी हिलने न दें और जितना हो सके स्थिर रखने की कोशिश करें। अगर व्यक्ति के हाथ या पैर की हड्डी टूटी है, तो स्पलिंट (Splint: फ्रैक्चर होने पर उपयोग की जाने वाली एक मजबूत पट्टी, जो प्रभावित क्षेत्र को हिलने-डुलने से रोकती है) की मदद से उस क्षेत्र को स्थिर रखें ।
• ठंडी सिकाई करें : एक साफ कपड़े में बर्फ रखकर या आइस पैक (Ice pack) का उपयोग करके 10 मिनट तक घायल व्यक्ति के प्रभावित क्षेत्र पर सिकाई करें।
• सदमे का इलाज करें : घायल व्यक्ति को एक आरामदायक पोजीशन में रहने के लिए मदद करें, उन्हें आराम करने के लिए कहें और आश्वासन दें। उन्हें गर्म रखने के लिए उनके ऊपर कम्बल या कपडा डाल दें।

8. कमीज में बटन लगाना

मेरी कमीज (शर्ट) का बटन टूट गया था। मैंने मेरी कमीज (शर्ट) में नया बटन लगाया। इस काम को करने के लिए सबसे पहले मैंने सुई और धागा लिया। धागे को सुई में पिरोया। धागे के एक सिरे पर मैंने गाँठ लगा दी । अब बटन को शर्ट पर जहाँ लगाना था, वहां रखा। मैंने कमीज के कपड़े की ओर से सुई को बटन के एक छेद से निकाला और बटन के दुसरे छेद में डाल दिया। बटन में चार छेद थे। आमने-सामने के छेदों से सुई-धागे को निकालते हुए मैंने बटन को शर्ट पर बारीकी और मजबूती से लगा दिया। इस काम को करने के लिए मैंने स्काउट मास्टर का मार्गदर्शन भी लिया ताकि मेरे को सुई से कोई हानि ना हो।

9. अनुशासन व पट्रोल सिस्टम
हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी एक खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है। कुछ नियमों और कायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है। अनुशासन सब कुछ है जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही राह पर ले जाता है।
स्काउट में भी अनुशासन के लिए टोली और दल बनाये जाते हैं। इसके लिए patrol system होता है। हमारे विद्यालय में भी स्काउट की एक टोली और 4 स्काउट-दल (patrol) हैं। मेरे पट्रोल का नाम टाइगर है। इसमें 8 स्काउट हैं। जिनके नाम निम्नलिखित हैं :

Patrol का नाम: टाइगर
क्रं सं. सदस्य का नाम कक्षा पट्रोल में स्थान
1     दलनायक ( Patrol Leader-PL)
2     सहायक दलनायक (Asst. Patrol Leader – APL)
3     सदस्य
4     सदस्य
5     सदस्य
6     सदस्य
7     सदस्य
8     सदस्य

Patrol का झंडा:

Patrol कॉल (cry): टाइगर के गुर्राने की आवाज़

Patrol का कोना (corner): विद्यालय में बास्केटबॉल कोर्ट

Patrol निनाद (yell):

दाल बाटी चूरमा ।
हम भारत के सूरमा । ।

हर्ष हर्ष हर्ष ।
सबसे अच्छा भारतवर्ष।।

पृथ्वी का स्वर्ग कहाँ ।
हरे-भरे हैं वृक्ष जहाँ। ।

गोल गोल ……..गपक।
लड्डू खाए …….झपक। ।

जन्म जहाँ पर……हमने पाया ,
अन्न जहाँ का ……हमने खाया ,
वस्त्र जहाँ के……….हमने पहने ,
वह है प्यारा………..देश हमारा ,
उस देश की सेवा कौन करेगा……….हम करेंगे, हम करेंगे, हम करेंगे।।

बच्चों से………हम प्यार करेंगे,
युवकों का…….गुणगान करेंगे,
बूढों का ………सम्मान करेंगे,
देश में ……….इज्जतदार बनेंगे,
कौन………….हम, हम, हम।

बोलो की भाई………बम
बोलो की भाई………बम
बोलो की भाई………बम भोले
बोलो की भाई ……..रस
बोलो की भाई ……..रस
बोलो की भाई ……..रसगुल्ला।

हम हैं बच्चे….प्यारे प्यारे,
तोड़ के लाये…नभ के तारे ,
मातृभूमि के …हमी सहारे।

कसरत करके……..चुस्त रहेंगे
खेल कूदकर……….स्वस्थ रहेंगे
सेवा करके…………मस्त रहेंगे।

सदाचार से …..रहना सीखो
मधुर वचन…..कहना सीखो।

रहे मौत को जो ललकार
उन वीरों की जय जयकार।

सच बोलो ………….आराम मिलेगा
सेवा से ……………..सुख धाम मिलेगा।

देश की रक्षा……..करना सीखो
जीना है तो……….मरना सीखो।

खतरा आया………आने दो ,
खतरा आया………आने दो, हमें वीर बन जाने दो,
खतरा आया………आने दो, हमें वीर बन जाने दो, करके कुछ दिखलाने दो,
खतरा आया………आने दो ,हमें वीर बन जाने दो,करके कुछ दिखलाने दो, वाह, वाह, वाह ।

क्या तुम भूखे……….कभी नहीं
क्या तुम प्यासे……..कभी नहीं
क्या तुम थकते……..कभी नहीं
कभी नहीं…………….कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं।

एक हमारा नारा है……….तैयार रहो, तैयार रहो
यही सिद्धांत हमारा है….तैयार रहो, तैयार रहो।

Patrol की मीटिंग:

स्थान : केंद्रीय विद्यालय क्र- 4 ओएनजीसी वड़ोदरा, गुजरात
दिनांक : 11.09.2019
समय : 8:20 AM
दिनांक 11.09.2019, बुधवार को हमारे टाइगर पट्रोल की मीटिंग आयोजित हुई। इस मीटिंग में हमारे पट्रोल लीडर ने हमारे पट्रोल को कुछ निर्देश दिए, जो निम्नलिखित हैं :
1. विद्यालय में स्वच्छता पखवाडा के दौरान सफाई करना
2. समाज में स्वच्छता के बारे में जानकारी देना
3. पॉलिथीन का उपयोग ना करने के लिए समाज में जागृति लाना
4. विद्यालय में डिस्प्ले बोर्ड पर स्वच्छता से सम्बंधित लेख लगाना

10. सीटी के संकेत
बाहरी गतिविधियों में सीटी के संकेत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सीटी के संकेत सन्देश को साफ़ और जल्दी पहुँचाने के काम आते हैं।
सीटी का प्रकार चिन्ह मतलब
एक लम्बी सीटी ________ चुप और सावधान, अगले संकेत का इन्तजार करो
3 बार लम्बी सीटी ___ ___ ___ खतरा, चेतावनी
4 बार लम्बी और धीमी सीटी ___ ___ ___ ___ टेंट से बाहर आ जाओ, तितर-बितर हो जाओ
बार-बार छोटी और तेज सीटी _ _ _ _ _ _ नजदीक आओ, इकट्ठे हो जाओ
बार-बार छोटी और लम्बी सीटी _ ___ _ ___ _ ___ तैयार हो जाओ, खाने का समय
छोटी सीटी तीन बार और एक बार लम्बी सीटी _ _ _ ___ patrol लीडर यहाँ आओ

11. हाथ के संकेत
स्काउट में हाथ के इशारे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसका मतलब होता है कि बातें कम, काम ज्यादा। चढाई में, किसी अभियान में और शांत क्षेत्र में हाथ के संकेतों से बिना आवाज़ किये आदेश/ सन्देश दिए जा सकते हैं ।

इशारे का प्रकार मतलब
चेहरे के सामने से बार-बार हाथ को दोनों तरफ हिलाना नहीं, जहाँ हो वही रहो
चेहरे के सामने से बार-बार हाथ को ऊँचा करके धीरे-धीरे दोनों तरफ हिलाना फ़ैल जाओ, तितर- बितर हो जाओ
चेहरे के आगे से बार-बार हाथ को ऊँचा करके जल्दी-जल्दी दोनों तरफ हिलाना नजदीक आओ, यहाँ आओ
हाथ को किसी दिशा की तरफ इशारा करते हुए उस दिशा में जाओ
मुट्ठी बांधकर हाथ को जल्दी –जल्दी ऊपर नीचे करना दौड़ो
हाथ को सिर के ऊपर सीधा खड़ा रखना रुक जाओ, ठहर जाओ

12. लकड़ी और पत्थरों से बनाये संकेत

13. रस्सी की गांठें
1. रस्सी के सिरे को बांधना (Whipping): Whipping एक गाँठ है जो रस्सी के सिरे पर लगाई जाती है, जिससे रस्सी का सिरा उधड़ने से रोका जाता है। यह गाँठ रस्सी के सिरे को मजबूत बनाती है।

2. दोहरी गांठ (Reef Knot):

• रस्सी के दोनों सिरों को एक-एक हाथ में पकड़ लें।
• बाएं हाथ में रस्सी के सिरे से एक गोला बनायें।
• दायें हाथ के सिरे को बाएं हाथ के सिरे में बने गोले में नीचे से ऊपर की ओर से निकालें।
• अब दायें हाथ में रस्सी के सिरे को बाएं हाथ में बने गोले के नीचे से लाकर रस्सी के सिरे को ऊपर से गोले के अन्दर से निकल लें।
• अब दोनों हाथों से रस्सी को कसकर खींच लें।

उपयोग : यह गाँठ एक ही वस्तु के दोनों सिरों को बाँधने के काम आती है। यह गाँठ त्रिकोणीय पट्टी बाँधने के काम आती है। धोबी इस गाँठ को कपड़ों के बण्डल के सिरों को बाँधने के लिए काम में लेते हैं। यह आसानी से खोली जा सकती है।

3. शीट बेंड (Sheet Bend):

• रस्सी के दोनों सिरों को एक-एक हाथ में पकड़ लें।
• बाएं हाथ में रस्सी के सिरे से एक गोला बनायें।
• दायें हाथ के सिरे को बाएं हाथ के सिरे में बने गोले में नीचे से ऊपर की ओर से निकालें।
• अब दाहिने हाथ में रस्सी के सिरे को बाएं हाथ की रस्सी के नीचे से घुमाकर सिरे को इसी रस्सी के नीचे से निकाल लें।
• अब चारों सिरों को कसकर खींच लें।

उपयोग: यह गाँठ दो समान और असमान रस्सियों को स्थायी रूप से मजबूती से बाँधने के काम आती है।

4. खूंटा गाँठ (Clove hitch):

• रस्सी के एक सिरे को एक खूंटे के चारों लपेटें।
• इसी सिरे को क्रॉस लेते हुए दुबारा लपेटें।
• इसी सिरे को पिछले घुमाव के नीचे से निकाल लें।
• अब इसे कसकर खींच लें।

उपयोग : यह गाँठ रस्सी को आसानी से खूंटे के बाँधने के काम आती है।

5. Bowline गाँठ :

• रस्सी को बाएं हाथ में रखकर, एक सिरे को पकड़कर रस्सी के ऊपर से लेकर एक गोला बना लें।
• अब उसी सिरे को नीचे से, बनाये हुए गोले के अन्दर से निकल लें।
• अब उसी सिरे को पकड़कर रस्सी के दूसरे खड़े सिरे के घुमाव लगाकर, बनाये हुए गोले के ऊपर से उस सिरे को डालकर, गोले के आरपार नीचे से निकाल लें।
• अब दोनों सिरों को खींच लें।

उपयोग : Bowline एक सुरक्षित गोला बनाती है, जो ना जाम होती है और आसानी से इसको खोला और बाँधा जा सकता है। यह जीवन रक्षक गाँठ भी कहलाती है। यह गाँठ विश्वसनीय, मजबूत और स्थिर होती है।

6. शीप शैंक (Sheep Shank):

• रस्सी को अपने दोनों हाथों में पकड़िए, उसके सिरों पर दो गोले बना लें।
• बाकी रस्सी को लपेटकर उसके दो सिरे बना लें।
• अब रस्सी के लपेटे हुए बाएं सिरे को, बाएं सिरे में बने हुए गोले में डाल दें और इसी प्रकार, लपेटे हुए दायें सिरे को, दायें सिरे में बने हुए गोले में डाल दें।
• अब दोनों सिरों को कसकर खींच लें।

उपयोग : यह गाँठ रस्सी को अस्थायी रूप से छोटी करने के काम आती है। यह गाँठ रस्सी के कमजोर हिस्से को मजबूत बनाने के काम आती है।

7. मछुआरा गाँठ (Fisherman Knot) :

• एक रस्सी के सिरे से दूसरी रस्सी के घुमाव लगाकर उपरी गाँठ लगा दें।
• इसी तरह दूसरी रस्सी के सिरे से पहली रस्सी के घुमाव लगाकर उपरी गाँठ लगा दें।
• अब दोनों रस्सियों के दोनों सिरों को विपरीत दिशा में खींच लें।

उपयोग : यह गाँठ दो रस्सियों को तुरंत बाँधने के काम आती है।

8. घुमाव देकर दो आधी गाँठे (Round Turn and Two Half Hitches):

• रस्सी के एक सिरे से लकड़ी को लपेट दीजिए।
• अब इसी सिरे से रस्सी के खड़े दुसरे हिस्से को लपेट दीजिए, लपेटते वक्त पहले सिरे को दुसरे हिस्से के ऊपर से लेते हुए, इससे बने हुए गोले से निकलना है।
• एक बार फिर इसी तरह से रस्सी के खड़े दुसरे हिस्से को लपेट दीजिए।

उपयोग : यह गाँठ सामान्यतः घरों में उपयोग होती है। यह गाँठ जहाज की घिरनी के बाँधने में काम आती है।

14. लैशिंग
लैशिंग : रस्सी से किसी वस्तु को महीन और मजबूत तरीके से बांधना, लैशिंग कहलाता है।

शीयर लैशिंग मार्क-1 : यह सामानांतर लैशिंग भी कहलाती है। यह लैशिंग दो लकड़ियों के सिरों को समानांतर रूप में जोड़कर, लकड़ियों की लम्बाई बढाने के काम आती है।

विधि :
1. दो लकड़ियों या खम्भों के सिरों को एक साथ सामानांतर रखें।
2. अब निचले खम्भे के एक खूंटा गाँठ (Clove Hitch) लगायें।
3. अब रस्सी को बारीकी से दोनों खम्भों के चारों तरफ 8-10 बार मजबूती से लपेटें।
4. अब दोनों खम्भों के दो आधी गाँठ ( two half hitches) मजबूती से लगा दें।

शीयर लैशिंग मार्क-II :

विधि :
1. दो लट्ठों को एक-दूसरे के बराबर रखें।
2. एक लट्ठे पर खूंटा गाँठ (clove hitch ) लगा दें।
3. अब रस्सी को बारीकी से दोनों खम्भों के चारों तरफ मजबूती से लपेटें।
4. अब दोनों लट्ठों के बीच में लैशिंग के ऊपर 90° कोण पर रस्सी के 3-4 घुमाव लगायेंगे, जिसे फ्रपिंग (Frapping) कहते हैं। यह लैशिंग को कसा हुआ और मजबूत बनाता है।
5. लैशिंग को पूरा करने के लिए अंत में खूंटा गाँठ (clove hitch ) लगा दें।

15. समाज सेवा
समाज सेवा एक भलाई का कार्य है। समाज में रहकर हम अच्छे कर्म करके और सच्चाई का साथ देकर अपने समाज और देश को और बेहतर बना सकते हैं। स्काउट में रहकर मुझे समाज सेवा करने की प्रेरणा मिली। मैंने और मेरे पट्रोल सदस्यों ने मिलकर हमारे आस-पास के ठेले वालों और दुकान वालों को सफाई का महत्त्व समझाने की जिम्मेदारी ली और हमने भी उनके साथ मिलकर सफाई का कार्य किया। हमने और हमारे पट्रोल सदस्यों ने ठेले वालों को नीले कचरापात्र और हरे कचरापात्र के बारे में समझाया। हमने उनको बताया कि गीला कचरा हरे कचरापात्र में और सूखा कचरा नीले कचरापात्र में डालना चाहिए। हमने जगह-जगह कुछ पोस्टर भी लगाये और स्वच्छता के बारे में नारे लगाकर लोगों को स्वच्छता के बारे में जागरूक किया। इस तरह हमारे मोहल्ले में गंदगी को हटाया गया और सभी ने प्रण किया की ना गंदगी करेंगे और ना गंदगी करने देंगे।

16. संवाद
परिभाषा : दो या दो से अधिक लोगों के बीच होने वाले वार्तालाप को संवाद कहते हैं।

संचार के साधन :
 मोबाइल
 ई – मेल
 ख़त
 टेलीफोन
 तार

मोबाइल के फायदे :
 आसान संचार
 लोगों की सुरक्षा और क़ानूनी बातों में मदद
 आपातकाल में मदद
 ताजा जानकारियां
 नई तकनीक का ज्ञान
 शिक्षा
 बैंकिंग
 यात्रा टिकट
 ऑनलाइन खरीददारी
 मनोरंजन

17. रोड़ पर सुरक्षित पैदल चलने के नियम
• हमेशा फुटपाथ पर चलें।
• यदि सड़क पर फुटपाथ नहीं है तो हमेशा बायीं तरफ ही चलें।
• सड़क पार करने से पहले दायें-बायें देखें कि कोई वाहन तो नहीं आ रहा है।
• यदि ग्रुप में हैं और फुटपाथ खाली न हो तो एक साथ चलने के बजाय कुछ लोग आगे पीछे होकर निकलें।
• पैदल चलते समय मोबाइल पर बात कभी न करें और ना ही इयरफोन का इस्तेमाल करें।
• कभी भी रोड़ बैरियर्स, किसी ब्लॉक के बीच से रोड़ क्रॉस न करें।
• जेब्रा क्रासिंग से ही रोड़ को पार करें।
• ट्रैफिक सिग्नल का पालन करें।

18. भारत के राष्ट्रीय चिन्ह
1. राष्ट्रीय ध्वज : तिरंगा

 भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक राष्ट्रीय प्रतीक है जिसे क्षैतिज आयताकार में बनाया गया है। इसकी लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात क्रमशः 2:3 होता है।
 इसमें तीन रंग होते हैं , जिसमें केसरिया (सबसे ऊपर), सफेद( बीच में) और हरा (सबसे नीचे)। इसको तिरंगा भी कहते हैं ।
 सफेद रंग के बीचों-बीच एक नीले रंग का अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तिलियाँ है।
 22 जुलाई 1947 में भारत की संविधान सभा ने एक मीटिंग में राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप को स्वीकार किया था।
 भारतीय ध्वज को एक खास किस्म के कपड़े से बनाया गया है जिसे ख़ादी कहते है।

इसमें मौजूद तीन रंग और अशोक चक्र का अपना अर्थ है जो इस प्रकार है:
केसरिया रंग : राष्ट्रीय ध्वज का सबसे ऊपरी भाग केसरिया रंग है; जो बलिदान का प्रतीक है राष्ट्र के प्रति हिम्मत और नि:स्वार्थ भावना को दिखाता है।
सफेद रंग : जो राष्ट्र की शांति, शुद्धता और ईमानदारी को प्रदर्शित करता है ।
हरा रंग : तिरंगे के सबसे निचले भाग में हरा रंग है जो विश्वास, उर्वरता ; खुशहाली ,समृद्धि और प्रगति को इंगित करता है।
अशोक चक्र और 24 तिलीयाँ : यह समय चक्र भी कहलाता है। अशोक चक्र के बीच में 24 तिलीयाँ है जो पूरे दिन के 24 बहुमूल्य घंटों को दर्शाता है और हमें लगातार कार्यरत रहने की प्रेरणा देता है।

2. राष्ट्रीय संप्रतीक:

भारत का राज्य संप्रतीक भारत सरकार की शासकीय मुद्रा है। राज्य संप्रतीक को अशोक के सारनाथ स्थित सिंह स्तम्भ शीर्ष से अंगीकार किया है। इस संप्रतीक में सिंह स्तम्भ शीर्ष में फलक पर तीन सिंह बैठे दिखाई देते हैं, बीच में धर्मचक्र , उसके दाहिनी ओर एक बैल और बाईं ओर एक दौड़ता हुआ घोड़ा है और एकदम दाहिनी और बाईं ओर धर्म चक्र बना हुआ है और देवनागरी लिपि में आदर्श वाक्य “सत्यमेव जयते ” लिखा हुआ है जिसका मतलब है कि “सत्य की ही विजय होती है”।

3. राष्ट्र गान:
भारत का राष्ट्र-गान जन-गण-मन है । यह गान कवि रवींद्र नाथ ठाकुर द्वारा मूलतः बंगाली में रचे गए गीत का हिन्दी संस्करण है । 24 जनवरी 1950 को इसे भारत के राष्ट्र-गान के रूप में अपनाया गया। राष्ट्र-गान को गाने अथवा बजाने में लगभग 52 सेकंड का समय लगना चाहिए।

जन – गण – मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता ।
पंजाब- सिंध- गुजरात- मराठा
द्राविड़ – उत्कल – बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे;
गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता ।
जय हे , जय हे , जय हे, जय जय जय जय हे ।

4. राष्ट्रीय पक्षी :

भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर (मयूर ) है । भारत सरकार ने सन् 1963 में मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया था । मोर शिष्टता और सुंदरता का प्रतीक है ।

5. राष्ट्रीय पशु:

बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है । बाघ शक्ति और फुर्ती का प्रतीक होता है ।

6. राष्ट्र-गीत:
वन्‍दे मातरम् गीत बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया है। यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था।

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

7. राष्ट्रीय वृक्ष:

भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद का पेड़ है । यह हमेशा फैलते रहने वाली शाखाओं के कारण अमरता का प्रतीक है।

8. राष्ट्रीय पुष्प:

भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल है । कमल का फूल अशुद्धता से अछूता रहता है। यह पवित्रता, उपलब्धि, लंबे जीवन और अच्छे भाग्य का प्रतीक होता है ।

9. राष्ट्रीय मुद्रा:

भारत की राष्ट्रीय मुद्रा भारतीय रुपया है । इस मुद्रा का चलन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है ।

लॉग बुक प्रमाणीकरण
प्रमाणित किया जाता है कि स्काउट …………………………………….. ने ग्रुप में रहकर ग्रुप गतिविधियां करते हुए नियमित रूप से प्रथम सोपान के लिए आवश्यक सेवा अवधि में अपने प्रथम सोपान पाठ्यक्रम व सेवाकार्य को पूरा किया है।

यूनिटलीडर                     संस्थाप्रधान
दिनांक ……………………..

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