Tritiya Sopan Log Book

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साइज़ फोटोग्राफ
(स्काउट गणवेश में )
1राज्य                         
2मंडल               
3जिले का नाम   
4स्काउट का नाम      
5पिता का नाम        
6माता का नाम         
7जन्म-तिथि         
8विद्यालय का नाम          
9यूनिट का नाम         
10घर का पता          
11संपर्क नंबर / मोबाइल नंबर         
12यूनिट को जॉइन करने की तिथि         
13अलंकरण तिथि         
14प्रवेश की तिथि         
15प्रथम सोपान की तिथि         
16द्वितीय सोपान की तिथि          
17प्रमाण-पत्र नं. (प्रथम सोपान)         
18प्रमाण-पत्र नं. (द्वितीय सोपान)         
19स्काउट के हस्ताक्षर        
20स्काउट मास्टर के हस्ताक्षर         

भारत स्काउट्स और गाइड्स

लॉग बुक (तृतीय सोपान)

क्र॰ सं॰विषय
1पायनियरिंग (Pioneering)
2प्रवीणता बैज (Proficiency Badge -Cyclist)
3अनुमान लगाना (Estimation)
4प्राथमिक उपचार (First Aid)
5मैपिंग (Mapping)
6बातचीत (Talk)
7बाहरी गतिविधियां (Out of Doors)
8खाना पकाना (Cooking)
9संकेत (Signalling)
10प्रवीणता बैज (Proficiency Badges)
11जानकारी (Knowledge)
12आग (Fire)
13सेवा (Service)

1. पायनियरिंग (Pioneering):

a) निम्नलिखित गांठें बांधना व उनके उपयोग को जानना:

i. फायरमैन चेयर गांठ (Fireman’s Chair Knot):

• रस्सी को दोनों हाथों में दो जगहों से पकड़िए।
• बायीं तरफ एक लूप बनाइए । उसका सिरा रस्सी के आगे की तरफ रहेगा।
• दायीं तरफ भी एक लूप बनाइए। उसका सिरा रस्सी के पीछे की तरफ रहेगा।
• फिर इन दोनों लूपों को नजदीक लाकर मिला दीजिए।
• अब दोनों लूपों के एक-एक भाग को प्रत्येक लूप के अंदर से खींचेंगे।
• अभी जो गांठ बनी है, वह ढीली है । उसको बायीं तरफ से लॉक करने के लिए रस्सी के खुले सिरे को बाएं लूप के ऊपर से घुमाव लगाकर रस्सी के सिरे को घुमावों के नीचे से लेकर खींच दीजिए। अब गांठ का बायां हिस्सा लॉक हो चुका है।
• इसी प्रकार दाहिने हिस्से को लॉक कर दीजिए।

उपयोग :

 यह गांठ समायोज्य (Adjustable) तथा ताला-युक्त (Lockable) लूप बनाने के काम आती है।
 बचाव के दौरान किसी व्यक्ति को सहारा देने के काम आती है। एक लूप सीने के चारों ओर तथा भुजाओं के नीचे सहारा देता है और दूसरा लूप टांगो व घुटनों को सहारा देता है।

ii. Man Harness Knot:

इस गाँठ का मुख्य उपयोग रस्सी के बीच में एक लूप बनाने के लिए किया जाता है जो कि हुकिंग या चढ़ाई के लिए उपयोग किया जाता है । कोई व्यक्ति अपने कंधे पर एक कवच के रूप में इस लूप का उपयोग कर सकता है ताकि वह अपना पूरा वजन इस पर डाल सके।
• चित्र में दिखाए अनुसार एक अंडरहैंड लूप का गठन करें।
• चित्र-A के अनुसार एक लूप बनाएँ और इसे तीर द्वारा दिखाए गए रस्सी के हिस्से के ऊपर रखें।
• अब रस्सी को B पर पकड़ें और इसे नीचे और ऊपर की ओर खींचें जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। यह बाइट बनाता है जो आपके कंधे के लिए लूप बन जाता है। उपयोग करने से पहले गाँठ को कस लें।

iii. Bowline on a bight :


रस्सी के एक भाग के मध्य में एक बाइट बनाएं। एक लूप बनाएँ तथा इसके और बाइट के सिरे को लूप से पास करें। बाइट को खोलें और इसे पूरी गांठ के चारों तरफ घुमाएं जब तक कि यह दोनों खड़े सिरों को घेर ना ले। गांठ को पूरा करने के लिए कस लें।

उपयोग:

 यह लूप की एक जोड़ी बनाती है जो फिसलती नहीं है।
 इसका उपयोग रस्सी के बीच में कुछ जोड़ने के लिए किया जाता है।

iv. ड्रॉ हिच (Draw Hitch) :

यह एक साफ क्विक-रिलीज गांठ है जो काफी तनाव सह सकती है। इसे हाईवेमैन हिच भी कहा जाता है। यह नाव को मूरिंग (mooring) के साथ सुरक्षित बांधने के काम आती है और इसको सरलता से टग के साथ खोला जा सकता है।

गांठ लगाने का तरीका :
• लकड़ी के नीचे से एक बड़ा सा बाइट(bight) बनाएं।
• अब लकड़ी के ऊपर से एक छोटा बाइट बनाएं।
• छोटे बाइट को लकड़ी से ऊपर से घुमाव लगाकर बड़े बाइट के बीच से निकालें।
• अब बड़े बाइट के दाहिने रस्सी को खींच ले और लकड़ी के नीचे से लाकर एक और बाइट बना लें।
• इस बने हुए बाइट को बायीं तरफ बने बाइट के अंदर से गुजारें।
• अब बाईं तरफ बने बाइट की दाहिनी रस्सी को कसकर खींच लीजिए।

उपयोग:

रस्सी के सिरों को सुरक्षित करने के साथ-साथ इस गांठ को रस्सी के बीच में भी बांधा जा सकता है जिसके परिणाम स्वरूप रस्सी के दो छोर समान रूप से नीचे लटके होते हैं। इस तरह एक पर्वतारोही एक छोर का उपयोग करके नीचे उतर सकता है और दूसरे छोर पर टगिंग करके रस्सी को पुनः प्राप्त करने की क्षमता रखता है।

b) विकर्ण लैशिंग (Diagonal Lashing)बांधना व उसका प्रदर्शन करना:

विकर्ण लैशिंग लगाने के लिए दो लकड़ियां लीजिए। दोनों लकड़ियों के चारों ओर लैशिंग करने के लिए सबसे पहले टिंबर हिच गांठ लगाएं। एक धुरी(axis) में दो लकड़ियों के चारों ओर 3-4 घुमाव लगाएं और उसके बाद दूसरी धुरी में लकड़ियों के चारों ओर 3-4 घुमाव लगाएं। अब तीन-चार बार फ्रेपिंग घुमाव लगा दें जिससे लैशिंग अच्छे से कस जाए। अब इसको खूंटा गांठ के साथ समाप्त करें।

c) Sailor’s Whipping :

रस्सी के सिरे को उधड़ने से बचाने के लिए Whipping की जाती है।
• रस्सी के सिरे के बल (मिलाव) को तीन हिस्सों में उधेड़ लीजिये। अब इन उधेड़ों को 1, 2, 3 नंबर कर दीजिए। बीच वाली रस्सी को 2 नंबर मान लीजिए और इसको पीछे की ओर रखो।
• Whipping करने के लिए पतले डोरे का एक लूप बनाइए। डोरी के लूप को बीच वाली रस्सी संख्या-2 में डालें। अब लूप को नीचे की ओर खींचे।
• अब इन तीनों रस्सियों को वामावर्त (Anti Clockwise) दिशा में फिर से मेल दें और डोरे को दक्षिणावर्त (Clockwise) दिशा में उनके साथ-साथ लपेटते जाएं। अब रस्सी पहले जैसी सिमटी हुई हो जाएगी।
• रस्सी के साथ डोरे के लूप तथा उसके छोटे हिस्से को बाएं हाथ से पकड़ लीजिए। डोरे के लंबे हिस्से को ज्यादा कसे बिना डोरे के चारों ओर लपेटें। यह Whipping स्थाई होनी चाहिए, अतः अब घुमावों को कसकर लगाएं । रस्सी की मोटाई के अनुसार उचित संख्या में घुमाव लगाइए। घुमावों को ढीले होने से बचाने के लिए अंगूठे से दबाए रखें।
• अब डोरे को ऊपर की ओर एक-दूसरे के बीच ऊपर से ले जाइए। ध्यान रहे कि लूप शुरू और खत्म एक ही रस्सी पर होगा जैसे रस्सी संख्या -2 पर । अब डोरे को नीचे खींच दीजिए।
• अब नीचे की डोरी को ऊपर ले आइए और रस्सियों के बीच से उनके ऊपर ले जाकर खींच दीजिए। अब डोरे के दोनों सिरों को कसकर बांध दीजिए। बांधने के लिए रीफ़ नॉट का उपयोग कीजिए। अतिरिक्त डोरे को काट दीजिए।

d) कम से कम तीन लकड़ियों का उपयोग करते हुए झंडे का पोल (Flag Mast) बनाना व फ्लैग ब्रेक (Flag Break) का प्रदर्शन करना:

झंडे के लिए फ्लैग पोल बनाना: फ्लैग पोल बनाने के लिए कम से कम तीन सीधी लकड़ियां(प्रत्येक लगभग 5 फुट लंबी), लैशिंग के लिए रस्सी, सहारे की रस्सियाँ(guylines)व 3 खूँटे चाहिए।
• सबसे पहले दो सीधी लकड़ियां लीजिए । उनको 10 इंच ओवरलैप कीजिए।
• अब 6 फुट की रस्सी का उपयोग करते हुए राउंड लैशिंग लगाइए। इसी प्रकार दूसरी लकड़ी के एक सिरे पर तीसरी लकड़ी को राउंड लैशिंग का उपयोग करते हुए बांध दीजिए।
• फ्लैग पोल को सही से खड़ा करने व सुरक्षित करने के लिए इसके तीन चौथाई हिस्से के ऊपरी भाग पर सहारे के लिए रस्सियाँ (guylines) बांधकर जमीन पर समबाहु त्रिभुज बनाते हुए रस्सियों को जमीन में खूंटा गांठ लगाकर बांध दीजिए।

फ्लैग ब्रेक प्रक्रिया :
• सबसे पहले भारत स्काउट्स व गाइड्स का झंडा फ्लैग पोल पर लगा दीजिए।
• सहायक स्काउट मास्टर फ्लैग पोल से दो कदम आगे की दूरी पर खड़ा होकर सभी पेट्रोल्स को उनके पेट्रोल के हिसाब से झंडे के आगे Horseshoe फॉरमेशन में खड़ा करेंगे। सहायक स्काउट मास्टर अपने दोनों हाथों को दोनों तरफ फैलाएगा। उनके दोनों हाथों की सीध से पीछे कोई पेट्रोल खड़ा नहीं होना चाहिए।
• सहायक स्काउट मास्टर पूरे ग्रुप को सावधान स्थिति में रखकर अपने बाएं तरफ एक कदम दूरी पर आएगा और पीछे मुड़कर तीन कदम सीधी दूरी में चलेगा। झंडे के पीछे की ओर दो कदम दूरी पर बायीं तरफ स्काउट मास्टर व अन्य अतिथिगण खड़े होते हैं।
• अब सहायक स्काउट मास्टर फिर से पीछे की ओर मुड़कर कैंप/ट्रूप को विश्राम व सावधान कराएगा। सहायक स्काउट मास्टर पीछे मुड़कर अपने सामने खड़े स्काउट मास्टर को सेल्यूट करेगा। स्काउट मास्टर भी सेल्यूट करेगा। सहायक स्काउट मास्टर बिना मुड़े अपने दायीं तरफ एक कदम दूरी पर खड़े होंगे। इस तरह से उन्होंने कैंप/ट्रूप का चार्ज स्काउट मास्टर को दे दिया है।
• स्काउट मास्टर चार्ज लेकर एक कदम आगे की ओर आएंगे । वह कैंप/ट्रूप को विश्राम व सावधान कराएंगे। स्काउट मास्टर “प्रार्थना शुरू” का आदेश देंगे। सभी एक साथ स्काउट प्रार्थना “दया कर दान भक्ति का” गाएंगे।
• प्रार्थना समाप्त होने के बाद स्काउट मास्टर निम्नलिखित आदेश देंगे: “ध्वज लीडर चल दो” झंडे के बाएं तरफ प्रथम पेट्रोल में सबसे आगे खड़े स्काउट को ध्वज लीडर कहते हैं। ध्वज लीडर मार्च पास्ट करता हुआ झंडे के पोल के सामने खड़ा हो जाएगा। अब वह 90 डिग्री के कोण पर दायीं तरफ झंडे की तरफ मुड़ेगा। एक कदम आगे की ओर बढ़ेगा। अब झंडे की रस्सी को खींच देगा और फ्लैग ब्रेक हो जाएगा। रस्सी को पोल पर सही से घुमाव लगाकर लपेटेगा। फिर एक कदम पीछे होकर झंडे को सलामी देगा। स्काउट मास्टर “झंडा गीत शुरू” कमांड देगा और सभी स्काउट “भारत स्काउट गाइड झंडा ऊंचा सदा रहेगा” झंडा गीत गाएंगे। झंडा गीत समाप्त होने के पश्चात ध्वज लीडर दायीं तरफ 90 डिग्री के कोण पर मुड़कर फिर से अपनी जगह लौट जाएगा।
• स्काउट मास्टर कैंप/ट्रूप को विश्राम कमांड देंगे और आगे की गतिविधियों के लिए निर्देशित करेंगे।

e) टेंट लगाना (Tent) :

टेंट किसी भी व्यक्ति के रहने के लिए अस्थाई आशियाना होता है । यह किसी व्यक्ति को कहीं भी रहने के लिए मददगार होता है। टेंट जल्दी से कहीं भी लगाया जा सकता है और हटाया जा सकता है। व्यक्तियों की संख्या के अनुसार और टेंट के आकार के अनुसार टेंट भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। स्काउटिंग में पट्रोल प्रकार का टेंट ज्यादा सही होता है।

टेंट में प्रयोग होने वाला सामान:
 पोल (डंडे)
 शामियाना कपड़ा (Canvas)
 खूंटी
 सहारे की रस्सियाँ (guylines)
 नीचे बिछाने की शीट

टेंट लगाने की विधि :
• सबसे पहले टेंट लगाने के स्थान का चयन करना
• ग्राउंड शीट को जमीन पर बिछा दीजिए जहां पर टेंट लगाना हो । उसके चारों कोनों पर खूँटे गाड़ दीजिए। अब टेंट के कैनवास को खोलिए और छत के नीचे के हिस्से को ऊपर रखते हुए बिछा दीजिए। कैनवास के बीच में एक पोल लगाइए जिसे रिज पोल (Ridge Pole) कहते हैं।
• अब रिज पोल के दोनों किनारों पर दो-दो रस्सियाँ बांध दीजिए और इन रस्सियों को एक-दूसरे से कैनवास के सहारे क्रॉस कर दीजिए।
• इन रस्सियों को बांधने के लिए चार खूँटे गाड़िए। रिज पोल पर निश्चित दूरी पर तीन-चार रस्सियाँ बाँधिए जो कैनवास को तनाव में रखेंगे तथा कैनवास को बीच में से झुकने नहीं देंगे। रिज पोल के कोनो के अनुसार 2 टेंट पोल जमीन में गाड़िए। अब टेंट पोल को रिज पोल के साथ कसकर बांध दीजिए। टेंट पोल का ऊपर निकला हुआ हिस्सा डौलीज (Dollies) कहलाता है।
• टेंट पोल को मुख्य रस्सियों की सहायता से खूंटे गाड़कर बांध दीजिए। दरवाजे और कोनों को ब्रेलिंग (Brailings) से बांध दीजिए। अन्य guylines को भी कस कर बांध दीजिए । सभी brailings को लूप लगाकर कस दीजिए जिससे टेंट की दीवारें सीधी व कसी हुई रहती हैं। खूँटों से बांधने से पहले brailings में लूप लगाइए ताकि खूँटों से फिसलने से बचाव हो सके।

f) रस्सियों को मेलना या जोड़ना (Splicing):

Eye Splicing: रस्सी के एक सिरे को तीन भागों में उधेड़ दीजिए। अब रस्सी से लूप बनाते हुए उधड़े हुये सिरे के पहले हिस्से को रस्सी से बीच में ढीला करते हुए दाहिनी रस्सी के नीचे से निकालिए। इसी प्रकार रस्सी के दूसरे सिरे को बीच वाली रस्सी व बायीं रस्सी के बीच से निकालिए। इसी तरह तीसरे हिस्से को बायीं रस्सी के नीचे से निकालिए। उपरोक्त विधि को तीन-चार बार दोहराइए।

2. प्रवीणता बैज प्राप्त करना (Proficiency Badge) :

साइकिल चलाना (Cyclist):

i. एक स्काउट के पास कम से कम 6 महीने या उससे अधिक समय के लिए साइकिल या मोटरसाइकिल होनी चाहिए या उपयोग की हुई होनी चाहिए। साइकिल या मोटरसाइकिल के लैम्प, घंटी या हॉर्न , पीछे का लैंप आदि सही हालत में होने चाहिए और वह उसका उपयोग देश सेवा में करने का इच्छुक हो अगर आपातकाल में किसी भी समय उसकी जरूरत हो ।
ii. साइकिल या मोटरसाइकिल सही ढंग से चलानी आनी चाहिए और उसको सही से पैडल लगाने आने चाहिए।
iii. पंक्चर सुधारना आना चाहिए। ब्रेक तथा पहिए को हटाकर उसकी जगह दूसरा लगाना आना चाहिए। परीक्षक की संतुष्टि के लिए किसी भी हिस्से को हटाना वह दोबारा लगाना आना चाहिए।
iv. हाईवे के नियम, ट्रैफिक नियम, सही समय पर लैंप जलाना, रोड पर हुई नंबरिंग का ज्ञान आदि होना चाहिए तथा रोड मानचित्र को समझना आना चाहिए।
v. एक कहे हुए संदेश को कम से कम 1 घंटे की सवारी के बाद सही से दोहराना आना चाहिए।
vi. अपने द्वारा पिछले 6 महीनों में कोई बनाई हुई मशीन के बारे में तथा उसके उपयोग को परीक्षक को बताना।
vii. दुर्घटना के समय किसी घायल को इंप्रोवाइज्ड(Improvised) साइकिल एंबुलेंस पर ले जाने में समर्थ हो।

3. अनुमान लगाना (Estimation):

ऊंचाई का पता लगाना: ऊंचाई का पता लगाने की बहुत विधियां हैं हम यहाँ दो विधियों के बारे में जानेंगे:
i. पेंसिल विधि
ii. पेड़ गिरना या Lumberman विधि :

i. पेंसिल विधि : किसी पेड़ की ऊंचाई पता करने के लिए हम किसी व्यक्ति को पेड़ से सटाकर खड़ा कर देंगे। उस व्यक्ति की लंबाई हमें पता होनी चाहिए। अब हम अपने हाथ में एक पेंसिल लेंगे। पेड़ से कुछ दूरी पर खड़े हो जाइए। अब एक आंख बंद करके पेंसिल को अपने हाथ में अपने सामने रख कर उस प्रकार पकड़िए कि पेंसिल की नोंक उस व्यक्ति के सिर के टॉप पर हो और पेंसिल का निचला हिस्सा पेड़ व जमीन के स्पर्श बिंदु को टच करे। माना यह ऊंचाई H है। आप इसी प्रकार पेंसिल के नीचे के हिस्से को व्यक्ति की ऊंचाई के टॉप पर रखिए और पेंसिल कि नोंक पेड़ के ऊपर के हिस्से में किसी बिंदु को पॉइंट करेगी। इस प्रकार पेड़ के टॉप तक की ऊंचाई नाप लीजिए और पेंसिल को पेड़ के टॉप तक पहुंचने में जितनी बार नापा उस संख्या को व्यक्ति की ऊंचाई H से गुणा कर दीजिए। यह उस पेड़ की ऊंचाई है।

ii. पेड़ गिरना या Lumberman’s विधि: इस विधि में एक पेंसिल या एक लकड़ी का उपयोग करेंगे। लकड़ी को अपने हाथ में पकड़े हुए उस वस्तु से कुछ दूरी पर खड़े हो जाइए जिसकी ऊंचाई नापनी हो । अब लकड़ी को हाथ में इस प्रकार पकड़िए कि लकड़ी का एक सिरा वस्तु के टॉप सिरे को स्पर्श करे व दूसरा सिरा वस्तु के आधार बिंदु को स्पर्श करे। अब पेंसिल के निचले सिरे को उसी बिंदु पर रखते हुए पेंसिल को वस्तु के दाएं या बाएं 90 डिग्री पर घुमाते हुए धरातल पर किसी बिंदु को पॉइंट कीजिए। अब धरातल पर इस वस्तु के आधार से इस नए पॉइंट तक की दूरी नाप लीजिए।

4. प्राथमिक उपचार (First Aid) :

a) आपातकालीन परिस्थितियों को जानना व उनसे निपटना :

i. पानी में डूबने पर प्राथमिक उपचार :

• यदि कोई पानी में डूब रहा है तो आसपास तुरंत गार्ड को सूचित करें, आपातकालीन सेवा में कॉल कर सकते हैं ।
• यदि आप अकेले हैं तो व्यक्ति को किसी तरह स्थानांतरित करें और उसको किसी भी तरह बहार निकालने का प्रयास करें।
• श्वांस के लिए जाँच करें, व्यक्ति के नाक और मुंह के आगे अपना कान रखें और महसूस करें कि क्या आप अपने गाल पर हवा महसूस कर रहे हैं । यह भी देख सकते हैं कि व्यक्ति के दिल की धड़कन चल रही है या नहीं।
• यदि व्यक्ति सांस नही ले रहा है तो नाड़ी की जांच करें। यदि कोई धड़कन नही है तो सीपीआर प्रारम्भ करें।
• वयस्क या बच्चे के छाती के बीच में, हाथ की एडी रखें, और दुसरे हाथ को उसके उपर रख कर दबाएँ। एक शिशु के लिए दो अँगुलियों का प्रयोग करें।
• वयस्क या बच्चे के लिए कम से कम 2 इंच नीचे दबाना सुनिश्चित करें और पसलियों पर दबाव न दें , शिशु के लिए 1 या 1/2 इंच दबाएँ लेकिन स्तन पर प्रेशर न डालें।
• 100 या 120 प्रति मिनट या इसके अधिक की दर से छाती को दबाएँ और छाती को पूरी तरह से धक्का मारिए।
• यदि आपको सीपीआर में प्रशिक्षित किया गया है, तो आप सिर को झुकाने और ठोड़ी को उठाकर वायुमार्ग खोल सकते हैं ।
• प्रभावित व्यक्ति की नाक को बंद कर के, आप एक सांस ले और प्रभावित व्यक्ति के मुह से सांस को डाले ऐसा दो बार लम्बी सांस लेकर प्रभावित व्यक्ति की छाती को दबा सकते हैं ।
• इस तरह आप एक पानी में डूबने वाले व्यक्ति की मदद कर सकते है, उपरोक्त क्रिया के दौरान आपातकालीन चिकित्सा लेना न भूलें ।

ii. बिजली का झटका (Electric Shock) लगने पर प्राथमिक उपचार :

बिजली का झटका लगने से व्यक्ति के शरीर में निम्नलिखित क्रिया होती है :
• नीचे गिर जाना,
• मांसपेशी में संकुचन,
• दौरा पड़ना,
• निर्जलीकरण,
• जलना या झुलसना,
• रक्त के थक्के जमना,
• मांस-तंतु या ऊतकों का ख़तम होना,
• श्वास न आना, दिल या गुर्दे की विफलता ।

बिजली का झटका लगने पर निम्नलिखित प्राथमिक उपचार कीजिये :
 दुर्घटना के क्षेत्र को ध्यान से देखें : दुर्घटना की जगह का सही से आकलन करें और यह सुनिश्चित करें कि आपको कोई खतरा न हो। अगर व्यक्ति अभी भी बिजली के स्त्रोत के सम्पर्क में है, तो करंट उस व्यक्ति से आपके शरीर में भी पास हो सकता है।
 एक सूखी लकड़ी की छड़ी का उपयोग करके बिजली के स्रोत को बंद कर देवें । करंट के स्त्रोत से दूरी बनाएं।
 रोगी को कंबल से ढकें और इंतज़ार करें: करंट लगने के बाद शरीर का तापमान गिरने लगता है, इसीलिए व्यक्ति को एक कम्बल में लपेट दें ताकि तापमान सामान्य रहे। अगर शरीर ज्यादा जल गया है या घाव हैं, तो उस पर कंबल न डालें। रक्तस्त्राव को रोकें।
 अगर जरुरत महसूस हो तो व्यक्ति को सीपीआर दें। सांस चल रही हैं या नहीं इसकी जाँच करें, यदि सांस नहीं चल रही हैं तो पुनर्जीवन चिकित्सा (कार्डियो पल्मनरी रिसैसिटेशन) या सी.पी.आर करें।
 आपातकालीन चिकित्सा सहायता को बुलायें, हल्के जले हुये का इलाज करें।
 अत्यधिक जलने पर अस्पताल में भर्ती करने या शल्य चिकित्सा की भी आवश्यकता हो सकती है।
 देखभाल के साथ सहयोग और संबल भी देवें।

iii. सड़क दुर्घटना में प्राथमिक उपचार :

 अगर घाव हल्का हो तो घाव को साफ करके रोगाणुरोधक दवा लगाकर, रूई के साथ पट्टी बांध दें।
 अगर घाव बहुत गहरा हो और खून बहुत ज्यादा बह रहा हो या 10 मिनट के बाद भी ना रुके तो नीचे दिए हुए स्टेप्स का अनुसरण करें-
सबसे पहले ब्लीडिंग रोकें – चोट की जगह पर किसी कपडे, रुई की मदद से ज़ोर से दबा कर रखें जिससे की ब्लीडिंग बंद हो जाये।
घाव को साफ़ करें – चोट या घाव को साबुन या गुनगुने पानी से धोएं। कटे और खुले हुए घाव में हाइड्रोजन पेरोक्साइड ना डालें।
 चोट पर एंटीबायोटिक मरहम लगायें और बैंडेज बांध दें।
 आगे की चिकित्सा के लिए घायल व्यक्ति को नजदीकी चिकित्सालय या अस्पताल ले जाएँ।

 आग लगने के बाद बिल्कुल भी पैनिक न हो। यदि धुआं है तो अपना सिर नीचे रखें। यदि कोई भी सुरक्षा उपाय नहीं है तो अपना रूमाल को पानी में भिगोएं और उसे अपनी नाक पर रख लें। यह कार्बन कणों को कुछ दूर करेगा, आप अच्छी तरह सांस ले सकेंगे।
 जैसे ही मालूम चले की आग लग गई है तो जितना जल्दी हो सके वहां से निकलने की कोशिश करें। यदि ऐसा मुमकीन नहीं है और कमरा धुएं से भर गया है तो उस स्थिति में तुरंत खिड़कियां खोल दें। वहीं कोशिश करें आपका सिर नीचे ही हो।
 अगर आग किसी ऊंची इमारत में लगी हो तो भूल से नीचे उतरने के लिए लिफ्ट का प्रयोग न करें। अगर आग सीढ़ियों तक न पहुंचे हो तो भी सीढियों से ही उतरने की कोशिश करें।
 यदि कोई व्यक्ति आग से झुलस गया हो तो उसे जमीन पर न लिटाएं। उसे कंबल या किसी भारी कपड़े में लपेटने की कोशिश करें।
 वहीं अगर आपने ऐसे कपड़े पहने हैं जिन्हें आग जल्दी पकड़ सकती है तो उतार कर फेंक दें, ऐसी स्थिति में आपकी जान का बचना ज्यादा जरूरी है।
 आपको बता दें, यदि आग कपड़ों तक आ जाए तो जमीन पर लुढ़ककर उसे बुझाने की कोशिश करें। चादर, कंबल या दूसरा बड़ा कपड़ा मिल जाए तो उसे शरीर पर लपेट लें।
 जैसे ही आपको आशंका हो कि आग लगने वाली है, तो उस स्थिति में सबसे पहले आपको फायर बिग्रेड और एंबुलेंस को फोन करें।

b) चोकिंग (Choking) को ठीक करना:

चोकिंग यानी सांस की नली में कुछ फंसना, जिसे सामान्य भाषा में हम गले में कुछ अटकना कहते हैं। दरअसल, हमारे गले में भोजन व सांस नली समानांतर होती है और जब हम कुछ खाते हैं तो एपिग्लोटिस नाम का एक कैप सांस की नली को ढंक देता है ताकि खाना भोजन की नली में ही जाए। लेकिन कभी-कभी खाने का कोई टुकड़ा सांस की नली में फंस जाता है, जिससे चोकिंग की समस्या हो जाती है। यह एक तरह से दम घुटने या सांस न ले पाने जैसी स्थिति होती है और जानलेवा भी हो सकती है, खासतौर पर बच्चों के मामले में।
लक्षण:
• दम घुटना,
• सांस न ले पाना,
• कफ न निकलना,
• बोल न पाना,
• पीड़ित के नाखून और अंगुलियों का रंग नीला पड़़ जाना।
उपाय :
i. पीडि़त से स्पष्ट पूछें कि क्या उसके गले में कुछ अटक गया है। पीडि़त अपने इशारों या घुटी हुई आवाज में अगर हामी भरे तो तुरंत उसके पीछे की ओर जाएं।
ii. पीड़ित के पीछे जाकर दाएं हाथ को मुट्ठी बनाकर उसकी नाभि के पास रखें और बाएं हाथ को उस पर कसते हुए घेरा बना लें।
iii. अब नाभि और ब्रेस्ट बोन वाले हिस्से में तेजी से कसाव देते हुए अंदर व बाहर की ओर झटके दें। इन्हें एबडॉमिनल थ्रस्ट या हेमलिच मैन्युवर कहते हैं। ऐसा तब तक करें, जब तक कि अटका हुआ टुकड़ा पीड़ित के मुंह से बाहर न निकल जाए।
जब पीड़ित बेहोश हो तो ऐसा करें: तुरंत अस्पताल या डॉक्टर को फोन लगाएं और एंबुलेंस सहायता भेजने के लिए कहें। सहायता आने के बीच के समय में पीड़ित व्यक्ति को पीठ के बल समतल सतह पर लिटा दें। उसका मुंह खोलें और यदि गले में कुछ अटका हुआ दिख रहा हो तो उसे अंगुली से बाहर निकालने की कोशिश करें। यदि कुछ अटका या फंसा हुआ नहीं हो और पीड़ित को होश नहीं है तो तुरंत सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रेसीसिटेशन दें।

c) साधारण हड्डी टूटने पर डील करना :
i. कॉलरबोन (Collar bone) में साधारण फ्रैक्चर को ठीक करना :

i. कॉलरबोन (Collar bone) में साधारण फ्रैक्चर को ठीक करना : बच्चों और वयस्कों के कॉलरबोन में चोट लगना एक आम बात है। कॉलर बोन को क्लेविकल (Clavicle) भी कहा जाता है, यह ब्रेस्ट बोन (सीने की हड्डी) के ऊपरी हिस्से और कंधे की हड्डी से जुड़ी होती है। सड़क दुर्घटना, गिरना या खेल में चोट के कारण कॉलर बोन में फ्रैक्चर हो जाना इसके मुख्य कारण हैं। इसके अलावा जन्म के समय कई शिशुओं के कॉलर बोन में फ्रैक्चर हो जाता है। इसके इलाज में कई तरह के चिकित्सीय देखभाल की आवश्यकता होती है।
कॉलरबोन में फ्रैक्चर के लक्षण :
• कॉलरबोन में दर्द होना,
• कॉलरबोन के सामान्य आकार में बदलाव,
• कंधे के चारों ओर नील पड़ना और सूजन आना, समय के साथ नील फैलकर छाती तक पहुंच जाता है।
• साइड से हाथ ऊपर उठाने में मुश्किल होना, हाथ नीचे होने पर झुनझुनी और सुन्न होना।
कॉलरबोन में फ्रैक्चर का इलाज : सामान्य तौर पर कॉलरबोन का फ्रैक्चर समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसको जल्द ठीक करने के लिए स्प्लिंट (splint: कंधे और हाथ को सहारा देने वाला उपकरण) और ब्रेस (brace: कॉलर बोन को सपोर्ट करने वाला उपकरण) या कुछ दिनों के लिए सप्लिंग (Spling) का प्रयोग किया जाता है। इसके इलाज में सूजन व दर्द को कम करने वाली दवाएं रोगी को दी जाती हैं। दवाओं के अलावा इलाज में हाथों और कंधों की एक्सरसाइज भी की जा सकती हैं।

ii. हड्डी टूटने पर प्राथमिक उपचार :

अगर किसी की हड्डी टूट जाती है, तो उसे प्राथमिक चिकित्सा दें और एम्बुलेंस को बुलाएं। मदद का इंतज़ार करते समय आप घायल व्यक्ति को निम्नलिखित तरीके से फर्स्ट ऐड दे सकते हैं –
• रक्तस्त्राव रोकें: अगर घायल व्यक्ति का बहुत अधिक खून बह रहा है, तो उसे रोकने की कोशिश करें। इसके लिए प्रभावित क्षेत्र पर साफ पट्टी या कपडा लगाकर उस जगह पर दबाव बनाएं।
• प्रभावित क्षेत्र को हिलने न दें: अगर आपको लगता है कि व्यक्ति के गले या पीठ की हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है, तो उसे बिलकुल भी हिलने न दें और जितना हो सके स्थिर रखने की कोशिश करें। अगर व्यक्ति के हाथ या पैर की हड्डी टूटी है, तो स्पलिंट (Splint: फ्रैक्चर होने पर उपयोग की जाने वाली एक मजबूत पट्टी, जो प्रभावित क्षेत्र को हिलने-डुलने से रोकती है) की मदद से उस क्षेत्र को स्थिर रखें।
• ठंडी सिकाई करें: एक साफ कपडे में बर्फ रखकर या आइस पैक (Ice pack) का उपयोग करके 10 मिनट तक घायल व्यक्ति के प्रभावित क्षेत्र पर सिकाई करें।
• सदमे का इलाज करें: घायल व्यक्ति को एक आरामदायक पोजीशन में रहने के लिए मदद करें, उन्हें आराम करने के लिए कहें और आश्वासन दें। उन्हें गर्म रखने के लिए उनके ऊपर कम्बल या कपडा डाल दें।

d) लू लगने का इलाज (Treat for Heat Stroke):

लू लगने का इलाज करने का मुख्य उद्देश्य होता है रोगी के शरीर के तापमान को कम करना और आगे के नुकसान को रोकना। यह निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –
ठंडा पानी: लू लगने की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को ठन्डे पानी में लिटाया जाता है या बर्फ के पानी से स्नान कराया जाता है।
वाष्पीकरण (Evaporation): इस तरीके में रोगी की त्वचा पर ठन्डे पानी का छिड़काव किया जाता है जबकि उसे गर्म हवा लगाई जाती है जिससे पानी भाप बनकर उड़ जाता है, जो त्वचा को ठंडा करता है।
ठंडा कंबल और बर्फ का उपयोग: लू लगने की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को ठन्डे कंबल से लपेटा जाता है और शरीर के उन क्षेत्रों में बर्फ रखी जाती हैं जहां बड़ी नसें त्वचा की सतह के करीब आती हैं, जैसे पेट और जांघ के बीच का भाग, बगल, गर्दन और पीठ। यह सुनिश्चित करता है कि रक्त का तापमान तेजी से कम हो।
मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं: यदि शरीर का तापमान कम नहीं हो रहा है, तो बेंजोडायजेपाइन (Benzodiazepines) जैसी दवाएं दी जा सकती हैं। ये ठन्डे उपचारों के कारण होने वाली शरीर की कम्पन को रोकते हैं।
लू लगना एक गंभीर स्थिति है और इसकी चिकित्सा तुरंत डॉक्टर से करवाई जानी चाहिए। इस दौरान व्यक्ति को खुद किसी कम गर्म जगह जाना चाहिए और ठंडे पेय पदार्थ पीकर तथा ठंडे पानी से नहा कर अपने शरीर का तापमान कम करने की कोशिश करनी चाहिए।

e) हृदय फुफ्फुसीय पुनर्जीवन या CPR(Cardio Pulmonary Resuscitation):

दिल का दौरा पड़ने पर पहले एक घंटे को गोल्डन ऑवर (Hour) माना जाता है। इसी गोल्डन ऑवर में हम मरीज की जान बचा सकते है। कभी कभी ambulance या मेडिकल सुविधा किसी कारण जल्द उपलब्ध नहीं होती। ऐसे समय में हमे पता होना CPR विधि के बारे में पता होना चाहिए।
Cardiopulmonary Resuscitation (कार्डियोपल्मोनरी रिससिएशन) एक प्राथमिक चिकित्सा है। जब कोई सांस लेने में असमर्थ हो जाए, बेहोश जो जाए, या Heart Attack आ जाए तब सबसे पहले और समय पर CPR से ही आप किसी की भी जान बचा सकते है। इसे संजीवनी क्रिया भी कहते है। जब कभी किसी को बिजली का झटका लग जाए, Heart Attack आ जाए, दम घुटने पर, पानी में डूबने पर, तो हमें CPR से मदद मिल सकती है।
CPR में प्रमुख दो कार्य किए जाते है।
i. मुँह के द्वारा साँस देना
ii. छाती को दबाना
दरअसल CPR में हम हम श्वसन क्रिया और रक्तभिसरण क्रिया को जारी रखते है। यदि मरीज को श्वास नहीं मिले तो 3-4 मिनिट में मस्तिष्क के पेशी मृत होना शुरू हो जाते है। अगर 10 मिनिट तक हम मरीज को कृतिम साँस न दे पाए तो मरीज के बचने की उम्मीद बहुत कम हो जाती है।
CPR करने की विधि:
• सबसे पहले मरीज को किसी ठोस व समतल जगह पर लिटा दें और आप उसके पास घुटनो के बल बैठ जाएँ।
• उसके नाक और गला चेक करें । कहीं कुछ अटक तो नहीं गया है । श्वसन नलिका बेहोश अवस्था में सिकुड़ सकती है। उसके मुह में ऊँगली डाल कर चेक करें कि कुछ अटका तो नहीं है।

i. मुँह के द्वारा साँस देना :

मरीज की नाक को दो उंगलियो से दबाकर मुह से साँस दें । नाक बंद होगी तो मुंह से की गई सांस फेफड़ो तक पहुचती है। लंबी साँस लेकर मरीज के मुंह से मुंह लगाएँ और धीर-धीरे साँस छोड़ें । ऐसा करने से मरीज से फेफड़ो में हवा भर जाएगी। जब आप कृत्रिम साँस दे रहे हों तो ध्यान रखेँ कि मरीज की छाती ऊपर-नीचे हो रही है या नहीं। जब मरीज खुद से साँस लेने लगे, तब ये प्रकिया रोक दें ।

ii. छाती को दबाना :

मरीज के सीने के बीचों-बीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाएँ । एक से दो बार ऐसा करने से धड़कन फिर से शुरू हो जाएगी। पम्पिंग करते वक़्त दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियो से बांध ले अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखें। अगर पम्पिंग करते वक़्त धड़कने शुरू नहीं हो रही तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश करें । हथेली से छाती को 1-2 इंच दबाएँ । ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करें ।30 बार छाती पर दबाव बनाएँ और दो बार कृत्रिम साँस दें । छाती पर दबाव और कृत्रिम साँस देने का अनुपात 30:2 का होना चाहिए।

क्या न करें : मरीज को अकेला बिल्कुल न छोड़ें । हृदय आघात के लक्षण आने पर इंतजार करने में समय बर्बाद न करें। डॉक्टर द्वारा बताई गयी दवाई के अलावा मरीज को दूसरी कोई दवा न दें।

f) बेहोश होने पर प्राथमिक उपचार :

बेहोशी हर व्यक्ति के साथ अलग कारणों से हो सकती है। ऐसे में, जैसे ही बेहोशी छाए, निम्नलिखित बातों का अनुसरण कीजिए :
• रोगी को तुरंत उठाएं। किसी अलग स्थान पर लिटा दें।
• रोगी के आसपास शोर, भीड़ करना ठीक नहीं। उस पर झुकें नहीं। हवा को रोकना नहीं चाहिए | बेहोश रोगी के कमीज़ के बटन खोल दें। जितना संभव हो, कपड़े ढीले करें ताकि उसे सांस लेने में कोई तकलीफ ना हो। उसे लेटे हुए कोई दिक्कत न आए, इस बात का भी अवश्य ध्यान रखें। रोगी को खूब खुली हवा मिलनी चाहिए। सावधानी के तौर पर यह देख लेना चाहिए कि रोगी की नाक में कुछ रूकावट तो नहीं हो रही है जैसे की रक्त तो नहीं जम गया है ।
• रोगी जिस जगह पर हो वहां कोई गन्दी गैस अथवा धुआं आदि नहीं होना चाहिए। जैसा की अकसर सडक दुर्घटनाओ में होता है जहाँ भीड़भाड़ के साथ ही साथ धुआँ भी अधिक होता है ।
• अगर साँस लेने की क्रिया रुकती और फेल होती दिखाई दे तो कृत्रिम सांस चालू कर देनी चाहिए।
• अगर रोगी की साँस तेज़ आवाज के साथ न होता हो तो उसे पीठ के बल लिटाना चाहिए तथा सिर एवं कन्धों के नीचे एक तकिया लगाकर इन दोनों भागों को ऊंचा कर देना चाहिए और सिर एक ओर घुमा देना चाहिए।
• यदि बेहोशी सर्द मौसम में तेज ठंडक के कारण आई है, तो ठंडा पानी, छींटे, मुंह में बर्फीला पानी टपकाना या ठंडा पेय जल, ग्लूकोज़ या फलों का रस बिलकुल न दें। रोगी के तलवे, हथेली, माथा सब पर गरम हथेली से, गरम मुलायम कपड़े से थोड़ा रगड़ें। ताकि रोगी के शरीर में कुछ गर्मी आए।
• रोगी के शरीर को गर्म रखने के लिए, रजाई, कंबल, भारी कपड़ा डालें। उसे अच्छी प्रकार ढंक दें। उसे ज़रूर होश आ जाएगा।

g) रोगी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना:

i. एक बचाव कर्मी द्वारा
ii. दो बचावकर्मियों द्वारा

i. एक बचावकर्मी द्वारा:

पैरों के टखनों को खींचकर: यह रोगी को समतल जमीन पर कम दूरी के लिए ले जाने का सरल व तेज तरीका है। इसमें रोगी के दोनों पैरों के टखनों को पकड़कर खींचा जाता है। रोगी को सीधा व समतल जमीन पर खींचा जाता है।

हाथों में उठा कर: बचावकर्मी अपने दोनों हाथों में रोगी को उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जा सकता है। इसमें रोगी की पीठ व पैरों के घुटनों को बचावकर्मी के हाथों का सहारा मिलता है।

कंबल पर लिटा कर: कंबल पर रोगी को लिटा कर कंबल को खींचा जाता है। इसमें धरातल समतल होना चाहिए।

Fire Fighters Carry: रोगी को ज्यादा दूरी तक ले जाने के लिए बचावकर्मी उसको अपने एक कंधे पर रखकर ले जाता है। इसमें रोगी का मुंह जमीन की तरफ नीचे की ओर होता है और पैर बचावकर्मी के आगे की ओर होते हैं । बचावकर्मी अपने हाथ से रोगी के दोनों पैरों के घुटनों के ऊपर पकड़कर सहारा देता है ।

ii. दो बचावकर्मियों द्वारा:

भुजाओं और टांगों को पकड़कर: इसमें पहला बचावकर्मी रोगी के पीछे खड़ा होकर रोगी के दोनों हाथों के नीचे से शरीर के मध्य भाग को पकड़ता है। दूसरा बचावकर्मी रोगी के पैर के घुटनों को सहारा देते हुए पकड़ता है। दोनों बचावकर्मी खड़ी अवस्था में होते हैं।

दो हाथों से सीट बनाकर : यह तकनीक रोगी को लंबी दूरी तक ले जाने के काम आती है। इसमें बचावकर्मी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर अपने हाथों से एक सीट बनाते हैं। रोगी को उठाकर सीट पर बैठाया जाता है इसमें दोनों बचावकर्मियों के एक-एक हाथ रोगी के घुटनों को सहारा देते हैं तथा अन्य एक-एक हाथ रोगी की पीठ को सहारा देते हैं। रोगी के दोनों हाथ दोनों बचावकर्मियों के कंधों पर होते हैं ।

5. मैपिंग (Mapping) :

GPS मैप acess करना व उसका उपयोग करना:

पहले के समय में जहाँ रास्ता खोजने में काफी समय लग जाता था वहीं अब यह काम कुछ ही सेकंड्स में किया जा सकता है। अगर आप अपना रास्ता भटक गए है या जहाँ आप जाना चाहते है वहां का रास्ता आपको नहीं मिल रहा है तो इस स्थिति में GPS System का इस्तेमाल किया जाता है। गति, दिशा के अलावा भी यह और भी कामों में प्रयोग किया जाता है।
GPS Location का इस्तेमाल किसी भी जगह की लोकेशन को पता करने के लिए किया जाता है। यह एक Global Navigation Satellite System है। आप इसकी मदद से कितनी भी दूरी का पता लगा सकते है। जीपीएस लोकेशन का पता लगाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। GPS ट्रेन, एयरक्राफ्ट, बस आदि Transportation Service में बहुत ज्यादा उपयोग की जाती है।
GPS full form: Global Positioning System
जीपीएस फुल फॉर्म हिंदी में होता है – वैश्विक स्थान -निर्धारण प्रणाली
GPS का उपयोग करना:
i. Download Google Maps: सबसे पहले आपको अपने मोबाइल में गूगल प्ले स्टोर से Google Map एप्प डाउनलोड करना होगा।
ii. Open Google Maps : यदि गूगल मैप पहले से आपके फोन में इनस्टॉल है तो इसे ओपन करे।
iii.Search Box: GPS को अपने मोबाइल में ऑन करने के बाद सर्च बॉक्स में उस लोकेशन या जगह का नाम डालें, जो आपको सर्च करना है।
iv. गंतव्य पर क्लिक करें : अब जैसे ही आपका डेस्टिनेशन स्क्रीन पर आ जाए उस पर क्लिक कर दीजिए।
v. Tap Directions: इसके बाद आपको “Direction” बटन पर क्लिक करना है।
vi. Enter a Starting Point: यहाँ अपना स्टार्टिंग पॉइंट सिलेक्ट करे।
vii.Select Transportation Mode: स्टार्टिंग पॉइंट सिलेक्ट करने के बाद ट्रांसपोर्टेशन मोड सिलेक्ट करना है।
viii.Tap On Start Button: बस अब “Start” के ऑप्शन पर क्लिक कर दीजिए।
GPS में बहुत सी सेटिंग होती है। आप अपने अनुसार उसकी सेटिंग कर सकते है तथा यह भी पता लगा सकते है की आप अपनी लोकेशन से कितनी दूर है।

6. बातचीत (Talk):

राष्ट्रीय एकता (National Integration) :

राष्ट्र एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है। एक देश में रह रहे लोगों के बीच एकता की शक्ति के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिये ‘राष्ट्रीय एकता’ एक तरीका है। अलग संस्कृति, नस्ल, जाति और धर्म के लोगों के बीच समानता लाने के द्वारा राष्ट्रीय एकता की जरूरत के बारे में ये लोगों को जागरूक बनाता है।
देश में व्यक्तिगत स्तर के विकास को बढ़ाने के लिये भारत में राष्ट्रीय एकीकरण का बहुत महत्व है और ये इसे एक मजबूत देश बनाता है। पूरी तरह से लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाने के लिये, 19 नवंबर से 25 नवंबर तक राष्ट्रीय एकता दिवस और राष्ट्रीय एकीकरण सप्ताह (अर्थात् कौमी एकता सप्ताह) के रुप में मनाया जाता है।
भारत विश्व का एक विशाल देश है। इस विशालता के कारण इस देश में हिन्दू, मुस्लिम, जैन, ईसाई, पारसी तथा सिक्ख आदि विभिन्न धर्मों तथा जातियों एवं सम्प्रदायों के लोग रहते हैं। अकेले हिन्दू धर्म को ही ले लीजिए। यह धर्म भारत का सबसे पुराना धर्म है जो वैदिक धर्म, सनातन धर्म, पौराणिक धर्म तथा ब्रह्म समाज आदि विभिन्न मतों सम्प्रदायों तथा जातियों में बंटा हुआ है। लगभग यही हाल दूसरे धर्मों का भी है। कहने का मतलब यह है कि भारत में विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों जातियों तथा प्रजातियों एवं भाषाओं के कारण आश्चर्यजनक विलक्षणता तथा विभिन्नता पाई जाती है।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग विभिन्न धर्म, क्षेत्र, संस्कृति, परंपरा, नस्ल, जाति, रंग और पंथ के लोग एक साथ रहते हैं। इसलिये, राष्ट्रीय एकीकरण बनाने के लिये भारत में लोगों का एकीकरण जरूरी है। एकता के द्वारा अलग-अलग धर्मों और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं, वहाँ पर कोई भी सामाजिक या विचारात्मक समस्या नहीं होगी। भारत में इसे विविधता में एकता के रुप में जाना जाता है हालाँकि ये सही नहीं है लेकिन हमें (देश के युवाओं को) इसे मुमकिन बनाना है।
हमें स्कूलों में इस प्रकार की शैक्षिक कार्यक्रम तैयार करना चाहिये जिसमें प्रत्येक बालक राष्ट्रीयता की भावना से ओतप्रोत हो जाये। निम्नलिखित पंक्तियों में हम विभिन्न स्तरों के शैक्षिक कार्यक्रम पर प्रकाश डाल रहें हैं:–
प्राथमिक स्तर बाल- दिवस, शिक्षक-दिवस तथा महापुरुषों के जन्म दिवस मनाये जायें और महान व्यक्तियों के जीवन से परिचित कराया जाये।
माध्यमिक स्तर – बालकों को भारत के आर्थिक विकास का ज्ञान कराकर उनमें राष्ट्रीय चेतना विकसित की जाये और राष्ट्रीयता के सम्बन्ध में महापुरुषों के व्याख्यान कराये जायें।
विश्वविद्यालय स्तर – समय-समय पर अध्ययन बैठक तथा विचार बैठक आयोजित की जायें। इन बैठकों में विभिन्न विश्वविद्यालय के बालकों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाये।

7. बाहरी गतिविधियां (Out of Doors):

(a) एक रात के लिए पेट्रोल कैंप लगाना

हमारे विद्यालय के स्काउट रूप में विद्यालय के प्राचार्य तथा स्काउट मास्टर की अनुमति से विद्यालय से 10 किलोमीटर दूर एक स्थान का चयन करके वहां शिविर लगाने की योजना बनाई। यह शिविर एक रात के लिए लगाया गया। इसमें सभी स्काउट्स जरूरी सामान लेकर अपने पट्रोल के साथ उस स्थान पर पहुंचे। शाम को 4:00 बजे तक सभी स्काउट्स, स्काउट मास्टर व सहायक स्काउट मास्टर एकत्रित हो गए। सभी पट्रोल ने रात्रि ठहरने के लिए अपने पट्रोल के लिए तंबू लगाए। शिविर स्थान के केंद्र में लकड़ियों का उपयोग करके कैंप फायर की तैयारी की गई। सूर्यास्त होने पर सभी स्काउट्स ने अपने-अपने पट्रोल में खाना बनाया व खाया। तत्पश्चात सभी स्काउट्स, स्काउट मास्टर व सहायक स्काउट मास्टर कैंप फायर के लिए एकत्रित हुए। वहां हम सब ने कैंप फायर गीत के साथ कैंप फायर की शुरुआत की। अपने-अपने पट्रोल की तरफ से सांस्कृतिक, देशभक्ति, नाटक, लोकगीत आदि की प्रस्तुति दी गई। हम सभी ने वहां ट्रूप के साथ रात्रि खेल खेले । इसके बाद कैंप फायर का समाप्ति गान गाकर हम सब अपने-अपने पट्रोल के शिविर में सोने चले गए। इस दौरान किसी एक पट्रोल को रात्रि पहरा देने का काम सौंपा गया। सुबह उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर हम सब स्काउट्स झंडे के स्थान पर एकत्रित हुए। वहां हमने फ्लैग ब्रेक सेरेमनी (Flag Break Ceremony) का आयोजन किया जिसमें स्काउट प्रार्थना, झंडा गीत आदि कार्यक्रम हुए। उसके बाद हम सब ने स्काउट मास्टर व सहायक स्काउट मास्टर के निर्देशों के अनुसार तंबू खोल लिए। सभी स्काउट्स अपने-अपने पट्रोल के साथ विद्यालय लौट आए। इस रात्रि शिविर की रिपोर्ट हमने स्काउट मास्टर को सौंपी।

(b) दिन में 10 किलोमीटर पैदल हाइक

हमारे विद्यालय के स्काउट ट्रूप ने प्राचार्य व स्काउट मास्टर की अनुमति से एक दिन 10 किलोमीटर पैदल हाईक की योजना बनाई। इस हाईक के लिए हमारे स्काउट ट्रूप ने 5 किलोमीटर जाने का व 5 किलोमीटर आने की योजना बनाई। सभी स्काउट्स अपने तय समय पर विद्यालय में एकत्रित हुए। ट्रूप लीडर और सहायक स्काउट मास्टर तय समय से पहले आकर निश्चित किए गए गंतव्य स्थान की ओर प्रस्थान किए। रास्ते में उन्होंने हमारी हाईक के लिए रोड़ पर, कच्चे रास्ते पर, पेड़ों पर, पत्थरों से, लकड़ियों से सांकेतिक भाषा में चिन्ह बनाए ताकि सभी पेट्रोल संकेतों को समझते हुए तय स्थान पर पहुंच सकें। हमारे विद्यालय के स्काउट्स अपने तय समय पर अपने-अपने पट्रोल व स्काउट मास्टर के साथ गंतव्य की ओर प्रस्थान किए। रास्ते में हम निर्धारित संकेतों को समझते हुए और पालन करते हुए आगे बढ़ रहे थे। हमने रास्ते में आने वाले पेड़ों, पशु-पक्षियों व प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए उनके बारे में चर्चा की। कुछ संकेतों में हमें 5 मिनट ठहरने, गाना गाने, चुट्कुले सुनाने आदि के निर्देश दिए हुए थे। हमने रास्ते में 15 मिनट रुक कर अपने पेट्रोल के साथ प्राकृतिक व उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करते हुए चूल्हा तैयार किया, ईंधन इकट्ठा किया। हम अपने साथ कुछ बर्तन लाये थे जिनमें हमने चाय बनाई और सब ने चाय पी। अब हम आगे बढ़े और इस तरह 2 घंटे में हमने 5 किलोमीटर का सफर तय कर लिया। गंतव्य पर पहुंच कर हमने थोड़ा आराम किया। इसके बाद वहां उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए खाना पकाया। खाने में हमने आलू की सब्जी और रोटी बनाई। सब ने मिलजुलकर बांट कर खाना खाया। फिर हमने वहां अंताक्षरी की। हमने देशभक्ति गाने गाये । कुछ देर आराम करने के बाद हम विद्यालय की ओर प्रस्थान किए । रास्ते में बनाए संकेतों का अनुसरण करते हुए हम तय समय पर विद्यालय पहुंच गए। हमने इस हाईक का भरपूर आनंद लिया। यह हमारे लिए यादगार दिन था। तत्पश्चात अगले दिन इस हाइक की रिपोर्ट हमने स्काउट मास्टर को सौंपी।

(c) रात्रि खेल में हिस्सा लेना

जेल का घेरा
इस खेल में सब खिलाड़ी एक गोल घेरे में एक-दूसरे का हाथ थाम कर खड़े होते हैं । इनमे से एक खिलाड़ी बंदी बनता है। वह घेरे के अंदर बंद हो जाता है और जेल के बाहर आने की कोशिश करता है । बाहर निकलने पर वह अंदर आने की कोशिश करता है। घेरे के सभी खिलाड़ी इस बात का प्रयत्न करते हैं कि वह बाहर से अंदर न आने पाए। यदि वह अंदर आ जाता है तो विजयी माना जाता है और उसकी जगह दूसरा खिलाड़ी ले लेता है। यदि देर तक कैदी बाहर या अंदर नहीं आ पाता है तो उसे असफल मान लिया जाता है और दूसरा खिलाड़ी उसकी जगह ले लेता है।

8. खाना पकाना (Cooking) :

बैकवुड्समैन (Backwoodsman) विधि का प्रयोग करते हुए खाना पकाना:

इस विधि से खाना बनाने की खास बात यह है कि इसमें बिना बर्तनों का उपयोग करते हुए खाना पकाना होता है । इस विधि से खाना पकाने से पहले निम्नलिखित तैयारियां होनी चाहिए:
• खाना
• चाकू, चम्मच
• फॉयल (Foil), अखबार
• हाथ धोने के लिए पानी
• हाथ पूछने का कपड़ा या तौलिया
खाना बनाते वक्त निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
 हमेशा फॉयल (Foil)को दोहरी परत में उपयोग में लें ।
 खाना पकाने का स्थान साफ होना चाहिए ।
 गर्म अंगारे होने चाहिए।
 चिमटा व हाथ के दस्ताने होने चाहिए ताकि हाथ गर्म खाने को स्पर्श करें तो जले नहीं
 फॉयल (Foil) को इस प्रकार मोड़िए जिससे खाने को आसानी से चेक किया जा सके और रस बिखरे नहीं।
 अगर खाने का बाहरी हिस्सा ज्यादा पक जाए और अंदर का हिस्सा कम पके तो एक और फॉयल लगा दीजिए।
i. मक्के के भुट्टे को पकाना : इस खाने को पकाने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं की जरूरत होती है:
 मक्के के भुट्टे
 बटर , नमक
 पानी
विधि :
 मक्के की पत्तियों व छिलके को उतार लीजिए।
 भुट्टे पर बटर नमक व पानी लगा दीजिए।
 अब इसको फॉयल (Foil)में लपेट दीजिए व अंगारों पर रख दीजिए।
 लगभग 15 मिनट तक भुट्टे को घुमाते हुए पकाइए।

ii. आलू को भूनकर पकाना: इस खाने को बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं की जरूरत होती है:
 आलू
 बटर
 नमक, मिर्च
विधि :
 आलू को अंगारों पर रखिए।
 इसको घुमाते हुए भूनिए।
 आलू को अच्छे से भूनने के बाद इसको ठंडा होने दें, फिर छिलके को अलग कर दें ।
 आलू पर बटर लगाएं। नमक मिर्च को आलू पर छिड़कें। इसको नुकीली लकड़ी की सहायता से खाया जा सकता है।

9. संकेत (Signalling):

मोर्स कोड :

टेलीग्राफ के आविष्कारक सैमुअल मोर्स के नाम पर इस कोड को मोर्स कोड कहा जाता है। यह कोड संदेश भेजने की कूटलेखन (Encoding) विधि है। मोर्स कोड में अक्षर को बिंदु(dots) व dashes के रूप में लिखते हैं। बजर(Buzzer) के साथ मोर्स की(Key) को जोड़कर इनका उपयोग किया जाता है। यह इशारों की भाषा से ज्यादा उपयोगी होते हैं। पर इनमें पारंगत होने के लिए बहुत अभ्यास की जरूरत होती है।

कुछ मोर्स संकेत व उनका अर्थ:
VE VE VE : बुलाया जा रहा है
K : लगे रहो
Q : इंतजार करो
T : सामान्य उत्तर
AAA : अंतराल या दशमलव
AR : संदेश का समापन
R : संदेश सही से प्राप्त हो गया
8 dots : संदेश मिटा दीजिए
GB : गुड बाय (अलविदा)

10. प्रवीणता बैज (Proficiency Badge) :

समूह-A
सामुदायिक कार्यकर्ता (Community Worker):

i. समुदाय के विकास के लिए प्रक्रिया को जानना।
ii. कम से कम 10 स्थानीय लड़कों को इस कार्य में शामिल करना तथा उन्हें इस आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करना।
iii.समुदाय व अन्य विकास के संसाधनों जैसे बैंक, अस्पताल, पोस्ट ऑफिस आदि के बीच में सामंजस्य का काम करना।
iv. लोगों की कम से कम दो जरूरती चीजों की समस्या के समाधान करने में मदद करना जैसे स्वच्छ पानी, स्कूल भवन ,सब्जी बाजार की सफाई इत्यादि।
v. अपने गांव या मोहल्ले में प्रतिरोधकता के लिए लगाए गए शिविरों में सहायता करना।

समूह-B
नागरिक(Citizen):

i. वोटर की मूलभूत योग्यता जानना और अपने परिवार व पड़ोसियों को वोट डालने के लिए प्रेरित करना।
ii. जानकारी (Knowledge):
 भारतीय संघ के राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति, राज्य के राज्यपालों की शक्तियां और कार्य की जानकारी
 लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा तथा विधान परिषद की कार्यप्रणाली की जानकारी
 स्थानीय निकाय जैसे नगरपालिका स्थानीय बोर्ड (जिला परिषद, छावनी बोर्ड तथा पंचायत ) आदि का अपने क्षेत्र के संदर्भ में कार्य प्रणाली को जानना
iii.राज्य में स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली को जानना ।
iv. देश के न्यायिक तंत्र की कार्यप्रणाली व उसके सामान्य जानकारी रखना ।
v. स्कूल के ट्रूप में Mock संसद में सक्रिय भाग लेना ।

11. ज्ञान या जानकारी (Knowledge) :

a) भारत स्काउट्स और गाइड्स व WOSM की जानकारी :

भारत में स्काउटिंग भारत में स्काउट्स एवं गाइड्स एक स्वयंसेवी, गैर राजनीतिक, शैक्षिक आंदोलन है। यह आंदोलन अपने लक्ष्यों, सिद्धांतों एवं तरीकों के आधार पर कार्य करता है। इस आंदोलन का उद्देश्य नवयुवकों की शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक क्षमताओं का विकास करना है जिससे वे एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी क्षमताओं के द्वारा स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योगदान कर सकें। भारत स्काउट्स व गाइड्स की संरचना:

मुख्यालय:
भारत स्काउट्स व गाइड्स
राष्ट्रीय मुख्यालय
लक्ष्मी मजूमदार भवन
16, महात्मा गांधी मार्ग , I.P. Estate
नई दिल्ली – 110002
ई-मेल : info@bsgindia.org
वेबसाइट: www.bsgindia.org

वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्काउट मूवमेंट (WOSM):

WOSM सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय स्काउटिंग संगठन है। WOSM के 171 देश सदस्य हैं। इसकी स्थापना जुलाई 1922 में की गई थी। इसमें लगभग 54 मिलियन प्रतिभागी हैं। इसके संस्थापक बेडेन पावेल हैं। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है। इसकी वेबसाइट निम्नलिखित है:
http://www.scout.org

b) ATM का प्रयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियाँ:

एटीएम का प्रयोग आज हर व्यक्ति करता है, लेकिन एटीएम कार्ड से धोखाधड़ी कर घटनाएं भी बढ़ रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि एटीएम कार्ड के प्रयोग में सावधानी बरती जाएं। आइए जानते हैं ऐसी ही सावधानियां-
 सिक्योरिटी के लिहाज़ से एक ही एटीएम पिन हमेशा न रखें। समय-समय पर उसे बदलते रहें।
 अपने पिन नंबर कभी भी एटीएम कार्ड या उसके कवर पर न लिखें। अगर कार्ड कहीं खो गया या चोरी हो गया, तो आपको इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है।
 फोन पर कभी किसी के साथ अपने एटीएम कार्ड नंबर या पिन की जानकारी शेयर न करें। बैंक वाले ऐसी गुप्त जानकारी फोन पर कभी नहीं मांगते।
 जब भी आप एटीएम से पैसे निकाल रहे हों, तो किसी अनजान व्यक्ति को आपकी मदद के बहाने अंदर न आने दें। अगर आपको कोई मदद चाहिए, तो वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड से पूछ लें।
 कुछ चालाक किस्म के लोग पासवर्ड टाइप करते हुए आपकी उंगलियों की हलचल पर नज़र रखते हैं। पासवर्ड टाइप करते समय स्क्रीन को कवर करके टाइप करें।
 अपने अद्यतन मोबाइल नंबर को बैंक में अपडेटेड रखें, ताकि हर ट्रांज़ैक्शन पर आपको मैसेज आए।
 नया कार्ड मिलने पर पुराने कार्ड को ब्लॉक करके काटकर फेंकें. उसे यूं ही डस्टबिन में न डाल दें।
 अगर आपका कार्ड खो जाए या चोरी हो जाए, तो तुरंत अपने बैंक में फोन करके उसे ब्लॉक करने के लिए कहें।
 मोबाइल बैंकिंग यूज़ करते समय अपना पिन फोन पर सेव न करें। क्योंकि बार फैमिली मैंबर, दोस्त आदि फोन का यूज़ करते समय इसे जान सकते हैं।
 एक से अधिक अकाउंट होने पर अलग-अलग पिन/पासवर्ड का इस्तेमाल करें।

12. आग (Fire) :

a) आग से बचाव के तरीके :

आग एक रासायनिक क्रिया है जो तीन चीजों से मिलकर बनती है।
 ऑक्सीजन,
 ईंधन,
 तापमान
जब भी यह तीनों आपस में मिलती है तो इनसे आग उत्पन्न होती है।
 आग लगने पर तुरंत 101 नंबर पर कॉल करके सूचना दें। यह न सोचें कि कोई दूसरा इसकी सूचना पहले ही दे चुका होगा।
 आग लगने पर सबसे पहले इमारत की अग्नि चेतावनी की घंटी (फायर अलार्म) को सक्रिय करें। फिर बहुत ज़ोर से “आग-आग” चिल्लाकर लोगों को सचेत करें। चेतावनी कम शब्दों में ही दें, नहीं तो लोगों को घटना की गंभीरता समझने में ज़्यादा समय लग जाएगा।
 आग लगने पर लिफ्ट का उपयोग न करें, सिर्फ सीढ़ियों का ही प्रयोग करें।
 धुएं से घिरे होने पर अपनी नाक और मुंह को गीले कपड़े से ढक लें।
 अगर आप धुएं से भरे कमरे में फंस जाएं और बाहर निकलने का रास्ता न हो, तो दरवाज़े को बंद कर लें और सभी दरारों और सुराखों को गीले तौलिये या चादरों से सील कर दें, जिससे धुआं अंदर न आ सके।
 अगर आग आपकी अपनी ईमारत में लगी है और आप उसमें फंसे नहीं हैं तो पहले बाहर आएं और 101 नंबर पर फायर ब्रिगेड को घटना की सूचना दें।
 अपने घर और कार्यालय में स्मोक (धुआं) डिटेक्टर ज़रूर लगाएं क्योंकि अपनी सुरक्षा के उपाय करना हमेशा बेहतर और अच्छा होता है।
 समय-समय पर इमारत में लगे फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर, पानी के स्त्रोत, अग्निशामक की जांच करवाते रहें।
 घटनास्थल के नज़दीक भीड़ न लगने दें, इससे आपातकालीन अग्निशमन सेवा और बचाव कार्य में बाधा होती है। ऐसी स्थिति में 101 पर कॉल करें और वहां से दूर हो जाएं।
 यदि आपके कपड़ो में आग लग जाए तो भागे नहीं, इससे आग और भड़केगी। ज़मीन पर लेट जाए और उलट पलट (रोल) करें। किसी कम्बल, कोट या भारी कपड़े से ढक कर आग बुझाएं।

b) बकेट(Bucket) श्रंखला विधि:

इस विधि में आग बुझाने के स्रोत जैसे पानी का कुआं या मिट्टी से भरी हुई बाल्टी इत्यादि अगर निश्चित दूरी पर हो तो बचावकर्मी एक श्रंखला बनाकर एक-दूसरे से निश्चित फासले पर खड़े हो जाते हैं और इस श्रंखला का एक सिरा आगे आग लगी हुई स्थान के पास होता है तथा एक सिरा पानी के कुए या मिट्टी की बाल्टी यों के पास होता है। बचावकर्मी अपनी जगह पर ही खड़े रहकर पानी से भरी बाल्टी एक-दूसरे को पकड़ाते हैं और पानी को आग पर डालते हैं। इससे भागदौड़ भी नहीं होती और आग पर जल्दी से काबू पा लिया जाता है।

c) सूखी घास में लगी आग पर काबू पाना:

जंगल में लगी आग भयानक खतरनाक होती है। यह तेजी से फैलती है। इसमें बहुत संख्या में वन्य जीव व पेड़ पौधे हताहत होते हैं। इस पर काबू पाने के लिए बुलडोजर या अन्य मशीनों का इस्तेमाल करके उन चीजों को हटा सकते हैं जिनसे आग फैल सकती है। आग फैलने की दिशा में कुछ दूरी पर आगे जाकर उन वस्तुओं को हटा सकते हैं जिनसे आग आगे बढ़ सकती है। इस प्रकार हम इस श्रंखला को रोक सकते हैं. उस जगह को हम गीला कर सकते हैं जहां आग फैल सकती है। मशीनों का उपयोग करके पानी छिड़क सकते हैं।

d)अग्निशामक यंत्र और उनके प्रकार :

आग के प्रकार और आग को बुझाने के अग्निशामक यंत्र

श्रेणीआग के प्रकारExtinguisher अग्निशामक यंत्र
Aलकड़ी, कोयला, कागज, कपड़ेWater Extinguisher
Bतेल की आगेFoam Fire Extinguisher
Cगैस की आगDry Powder Fire Extinguisher
Dबिजली की आगC.T.C Fire Extinguisher & CO2

i. Water Extinguisher: Class A फायर रिस्क के लिए Water extinguishers सबसे आम extinguishers प्रकार है। जब पानी ईंधन पर पड़ता है तो पानी ईंधन को डंडा करता है और आग और आग की लपटों के बिच में एक पानी की दिवार बना देता है जिससे आग धीरे धीरे करके बुझ जाती है।

ii. Foam Extinguisher : फोम एक्सटिंगुइशर Class B की आग के लिए सबसे सामान्य प्रकार के Extinguishers हैं, लेकिन Class A की आग पर भी काम करते हैं क्योंकि Foam Extinguishers भी पानी युक्त होता है।यह water extinguishers की तरह काम करता है, Foam extinguishers में पानी की मात्रा होने से यह आग को डंडा करता है और foam ईंधन और आग की लपटों के बिच में दिवार का काम करता है जिससे आग आसानी से बुझ जाती है। Foam Extinguisher का लेबल क्रीम रंग का होता है।

iii. Dry Powder Extinguisher : इसे PE भी कहते हैं। ये एक बहुत ही अच्छा बहु प्रयोजन (multi purpose) Extinguisher है, क्योंकि इसका उपयोग हम A, B और C तीनो के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग हम Electrical Fire में भी कर सकते हैं। हालांकि पदार्थ ठंडा नही होता तो फिर से आग भड़कने के संभावना रहती है इसीलिए इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए ये आपके देखने की क्षमता भी कम कर सकते हैं, साथ ही आपको सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है। इसी कारण जब तक इसका कोई दूसरा विकल्प ना हो तब तक बिल्डिंग के अंदर नही करना चाहिए। इसका लेबल नीला होता है।

iv. Co2 Extinguisher: बहुत सारे बिजली के उपकरणों वाले स्थान जैसे आफिस या सर्वर रूम के लिए आदर्श होते हैं, क्योंकि ये बिजली के उपकरणों वाली आग के लिए सबसे सुरक्षित होते हैं। ये किसी भी तरह का कोई अवशेष या जैसे कि पाउडर या तरल आदि नही छोड़ते। इनका उपयोग B श्रेणी की आग पे भी किया जा सकता है, जिनमे ज्वलनशील तरल पदार्थ जैसे पेट्रोल और डीजल आते हैं। Co2 Extinguisher हवा में ऑक्सीजन की कमी करके आग बुझाने का काम करता है। Co2 Extinguisher का लेबल काले रंग का होता है।

13. सेवा (Service):

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्‍युलोसिस(Tuberculosis) बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लीवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे सामान्य फेफड़ों का टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती। टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के आसार नजर आने पर जांच करानी चाहिए।
लक्षण:
• तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी होना।
• खांसी के साथ बलगम आना।
• कभी−कभी थूक से खून आना।
• वजन कम होना।
• भूख में कमी होना।
• सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत।
• शाम या रात के समय बुखार आना।
बचाव के तरीके:
 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे।
 मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
 मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
 मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। साथ ही एसी से परहेज करें।
 पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करे।
 बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
 भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
 बच्चे के जन्म पर BCG का टीका लगवाएं।

DOTS (Direct Observed Treatement) की जानकारी:
डॉट्स (DOTS) शब्द का उपयोग “प्रत्यक्ष प्रेक्षित थेरेपी (Directly Observed Treatement ) के लिए किया जाता है और यह टीबी रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक मुख्य योजना है। इसमें टीबी के नियंत्रण के लिए सरकार की वचनबद्धता, टीबी के सक्रिय लक्षणों से युक्त रोगियों में थूक-स्मियर माइक्रोस्कोपिक परीक्षण, प्रत्यक्ष प्रेक्षण छोटे-कोर्स कीमोथेरेपी उपचार, दवाओं की एक निश्चित आपूर्ति, मानकीकृत रिपोर्टिंग और मामलों और उपचार के परिणामों की रिकॉर्डिंग शामिल है।

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